भाग-2
नागरिकता
⇒ दोस्तों इस भाग में अनुच्छेद 5 से अनुच्छेद 11 तक है, जिसमे से एक भी अनुच्छेद किसी को नागरिकता देना तथा किसी की नागरिकता समाप्त करने की बात नहीं करता अर्थात किसी व्यक्ति को नागरिकता देना तथा किसी व्यक्ति की नागरिकता छिनना संसद के कानून से निर्धारित होती है जिसके बारे में आगे चलकर विस्तार से चर्चा करेंगे |
पहले हम समझते है की नागरिक क्या होता है ?
टी.एच. मार्सल के अनुसार : - नागरिकता व्यक्ति व राज्य के मध्य के अधीन वह कानूनी सम्बन्ध है, जिसमें निम्नलिखित तीन तत्व पाये जाते हैं,
भारतीय संविधान नागरिकों को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है जो विदेशियों को प्राप्त नहीं हैं : -
उपरोक्त अधिकारों के साथ नागरिकों को भारत के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का भी निर्वहन करना होता है। उदाहरण के लिए कर भुगतान, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का सम्मान, देश की रक्षा आदि ।
संवैधानिक उपबंध : -
संविधान के भाग- II में अनुच्छेद 5 से 11 तक में नागरिकता के बारे में चर्चा की गई है। इस संबंध में इसमें स्थायी और विस्तृत उपबंध नहीं हैं, यह सिर्फ उन लोगों की पहचान करता है, जो संविधान लागू होने के समय (अर्थात् 26 जनवरी, 1950) को भारत के नागरिक बने। इसमें न तो नागरिकता अधिग्रहण एवं न ही नागरिकता की हानि की चर्चा की गई है। यह संसद को इस बात का अधिकार देता है कि वह नागरिकता से संबंधित मामलों की व्यवस्था करने के लिए कानून बनाए । संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया, जिसका समय-समय पर संशोधन किया गया।
अनुच्छेद-5 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति जो संविधान के प्रारम्भ के समय भारत के राज्य क्षेत्र में अधिवास करता है, वह भारत का नागरिक होगा यदि निम्न शर्तों में से कम से कम एक पूरी करता हो-
1. वह भारत राज्य क्षेत्र में जन्मा हो
2. उसके माता-पिता मे से कोई एक भारत के राज्य क्षेत्र में जन्मा हो
3. वह संविधान लागू होने से पहले कम से कम 5 वर्षों तक साधारण तौर पर निवासी रहा हो।
अधिवास क्या होता है :- अधिवास एक मनुष्य और एक राज्यक्षेत्र के बीच संबंध है। यदि कोई व्यक्ति किसी स्थान पर रहता है और उसका आशय उस स्थान को अपना स्थाई निवास बनाना है तो वह स्थान उस व्यक्ति का अधिवास हो जाता है। यदि वह व्यक्ति उस स्थान से हट जाता है किंतु उसका आशय वापस आकर स्थाई रूप से जाना है तो इसका अधिवास पर प्रभाव नहीं पड़ता।
अनुच्छेद 6 : - अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जिसने ऐसे राज्यक्षेत्र से जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, भारत के राज्यक्षेत्र को प्रव्रजन किया है, इस संविधान के प्रारंभ पर भारत का नागरिक समझा जाएगा-
6(a) यदि वह अथवा उसके माता या पिता में से कोई अथवा उसके पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था; और
6(b) : - (i) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 से पहले इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह अपने प्रव्रजन की तारीख से भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है; या
(ii) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 को या उसके पश्चात् इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीति से उसके द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले ऐसे अधिकारी को, जिसे उस सरकार ने इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किया है, आवेदन किए जाने पर उस अधिकारी द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है;
परंतु यदि कोई व्यक्ति अपने आवेदन की तारीख से ठीक पहले कम से कम छह मास भारत के राज्यक्षेत्र में निवासी नहीं रहा है तो वह इस प्रकार रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा ।
नोट : - 19 जुलाई, 1948 की तिथि का महत्व यह है कि इसी तिथि से भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत प्रवास के लिए अनुमति पत्र की प्रणाली शुरु की गई थी।
अनुच्छेद 7 – भारत से पाकिस्तान गए और फिर से भारत आने वाले व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार : - एक व्यक्ति जो 1 मार्च 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान चला गया हो, लेकिन बाद में फिर भारत में पुनर्वास के लिए लौट आये तो उसे भारत की नागरिकता मिल सकती है लेकिन उसे एक प्रार्थना पत्र भारत सरकार को देना होगा और उसके बाद 6 माह तक भारत में निवास करना होगा।
कहने का अर्थ ये है कि ऐसे व्यक्ति को अनुच्छेद 6 (b) के अनुसार, 19 जुलाई 1948 के बाद आया हुआ मान लिया जाता है और उसका पंजीकरण कर दिया जाता है। और इस प्रकार उस व्यक्ति को भारत का नागरिक मान लिया जाता है।
अनुच्छेद 8 – भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार : - ये उन लोगों के लिए है जिसके माता-पिता या दादा-दादी अविभाजित भारत में पैदा हुए हों (यानी कि भारत शासन अधिनियम 1935 में परिभाषित भारत में पैदा हुआ हो) लेकिन वह भारत के बाहर कहीं और मामूली तौर पर निवास कर रहा हो, वह भी भारत का नागरिक बन सकता है।
लेकिन उसे नागरिकता के लिए पंजीकरण का आवेदन उस देश में (जहां वह मामूली तौर प रह रहा है) मौजूद भारत के राजनयिक को देना होगा।
अनुच्छेद 9 – विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का भारत का नागरिक न होना : -वह व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा जो स्वेच्छा से किसी और देश का नागरिकता ग्रहण कर लेता हो। कहने का अर्थ ये है कि भारत दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता है। अगर कोई व्यक्ति किसी और देश की नागरिकता ग्रहण करता है तो उसे भारत की नागरिकता से वंचित होना होगा।
अनुच्छेद 10 – नागरिकता के अधिकारों का बने रहना : - यह अनुच्छेद एक आश्वासन देता है कि जिन लोगों को अनुच्छेद 5, 6, 7, और 8 के तहत नागरिकता दी गई है वे भारत में नागरिक बने रहेंगे। यानी कि ऐसे लोगों से नागरिकता छीनी नहीं जाएगी।
जैसा कि हम जानते हैं कि संविधान के लागू होने के बाद किसी व्यक्ति के नागरिकता के अर्जन एवं समाप्ति के लिए साल 1955 में नागरिकता अधिनियम अधिनियमित किया गया।
पर यह कानून बनने के बाद भी जिसको संविधान के उक्त प्रावधानों के तहत नागरिकता मिल चुकी थी उसकी नागरिकता अनुच्छेद 10 के कारण बनी रही।
अनुच्छेद 11 – संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना : - इस अनुच्छेद के तहत, संसद के पास यह अधिकार है कि नागरिकता अर्जन और समाप्ति या इसी से संबन्धित कोई भी नियम या विधि बना सकती है।
कहने का अर्थ ये है कि संविधान में भारत की नागरिकता से संबंधित स्थायी और विस्तृत कानून अधिकथित करने का कोई आशय नहीं है इसीलिए यह अनुच्छेद संसद को नागरिकता के संबंध में कानून बनाने की शक्ति देता है।
और संसद ने इसी के अनुपालन में साल 1955 में नागरिकता अधिनियम अधिनियमित की। और अभी नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के लिए यही अनुच्छेद काम कर रहा है। इसमें समय के साथ ढेरों संशोधन हो चुके हैं।
Admin ::-DeshRaj Agrawal
03:09 am | Adminभारतीय राष्ट्रवाद ⇒19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत में राष्ट्रीय चेतना विकसित हुई। इस राष्ट्रीय चेतना से उपजे राष्ट्रीय आन...
2माइकल फेयरेड के विशेष दिन पर उनकी सफलता की यात्रा की खोज प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने भौतिकी और रसायन विज्ञान के क्षे...
0
Subscribe
Hello...
Don't have an account? Create your account. It's take less then a minutes
Hello...
Don't have an account? Create your account. It's take less then a minutes
Hello...
Don't have an account? Create your account. It's take less then a minutes
CGPSC PRELIMS TEST SERIES 2023 -2024
CGPSC PRELIMS TEST SERIES 2023 -2024 : - दोस्तों हम आपके तैयारी को गति प्रदान करने के लिए cgpsc prelims test series आयोजित करने जा रहे है, जो सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पर कुल 12 टेस्ट पेपर होंगे जिसमे प्रत्येक टेस्ट पर 100 प्रश्न पूछे जायेंगे तथा प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होगा व प्रत्येक गलत उत्तर दिए जाने पर एक – तिहाई अंक काट लिए जायेंगे |
पंजीयन करने के लिए यहाँ क्लिक करे :