Citizenship Act 1955

0912,2023

       नागरिकता अधिनियम 1955 (Citizenship Act 1955)

⇒संसद ने 1955 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 11 में मिले शक्ति का प्रयोग करते हुए भारतीय   नागरिकता अधिनियम 1955 पारित किया |

इस अधिनियम में अब तक 9 बार (1957, 1960, 1985, 1986, 1992, 2003, 2005, 2015, 2019)  संशोधित हुआ है

नागरिकता अधिनियम 1955 में 18 धाराएँ हैं जिसमें से धारा 3 से लेकर 7 तक भारत की नागरिकता प्राप्त करने के क्रमशः 5 तरीके बताए गए हैं : -

  1. जन्म के आधार पर (By birth)
  2. वंशक्रम/रक्क्त संबंध के आधार पर (By descent)
  3. पंजीकरण के द्वारा (By registration)
  4. देशीयकरण द्वारा (By Naturalisation)
  5. क्षेत्र समाविष्ट के आधार पर नागरिकता (Citizenship by incorporation of territory)

आइये एक एक को विस्तार से समझते है की आंखिर कैसे मिलती है नागरिकता ?

  1. जन्म के आधार पर (By birth) : - यहाँ याद रखने योग्य तीन बातें महत्वपूर्ण है,
  1. ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जन्म के आधार पर भारत का नागरिक होगा जिसका जन्म भारत में 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है।
  2. 1 जुलाई 1987 के बाद जन्म के आधार पर किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता तभी मिलेगी, जब उस व्यक्ति के जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो।
  3. 2003 के नागरिकता अधिनियम संशोधन लागू होने के बाद से कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर भारत का नागरिक तभी बन सकता है जब उसके जन्म के समय उसके माता-पिता दोनों भारत का नागरिक हो। लेकिन अगर उनमें से सिर्फ एक ही व्यक्ति भारत का नागरिक है तो जो दूसरा व्यक्ति है उसे अवैध प्रवासी (Illegal Migrant) नहीं होना चाहिए।

 

  1. वंशक्रम/रक्क्त संबंध के आधार पर (By descent) : - वंश के आधार पर नागरिकता भारत के बाहर पैदा हुए बच्चों को मिलती है। इसके तहत तीन बातें हैं जो आपको याद होनी चाहिए;
  1. 26 जनवरी 1950 से 10 दिसम्बर 1992 के बीच  भारत के बाहर पैदा हुआ कोई व्यक्ति वंश के आधार पर भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है, लेकिन तभी जब उसके जन्म के समय उसके पिता भारत का नागरिक हो।
  2. 10 दिसम्बर 1992 के बाद अगर कोई बच्चा भारत के बाहर पैदा हुआ हो तो वह भी भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है, लेकिन तभी जब उसके माता या पिता दोनों में से कोई एक उसके जन्म के समय भारत का नागरिक हो।  कहने का अर्थ है कि 1992 से पहले सिर्फ पिता का भारतीय नागरिक होना जरूरी था, 1992 के बाद माता या पिता में से किसी एक का भारतीय नागरिक होना काफी था।
  3. 2003 के नागरिकता संशोधन के प्रभावी होने के बाद यानि कि 3 दिसम्बर 2004 के बाद भारत के बाहर पैदा हुए किसी भी बच्चे को वंश के आधार पर अगर नागरिकता चाहिए तो उसके माता या पिता में से किसी एक का उसके जन्म के समय भारतीय नागरिक तो होना ही चाहिए, लेकिन साथ में उस बच्चे के जन्म से एक वर्ष के भीतर उस देश में स्थिति भारतीय दूतावास में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

नोट : - कोई अवयस्क जो वंश क्रम द्वारा भारत का नागरिक है, यदि दूसरे देश की नागरिकता रखता है तो वयस्क होने के 6 माह के भीतर दूसरे देश की नागरिकता त्यागनी होगी, अन्यथा पह भारत का नागरिकत नहीं रह जाएगा।

 

  1. पंजीकरण के द्वारा (By registration) : -  कोई व्यक्ति भारत में नागरिकता प्राप्त करने के लिए केन्द्र सरकार के समक्ष पंजीकृत होने के लिए आवेदन कर सकता है, यदि निम्नलिखित में से कोई शर्तें पूरी होती हैं : -
  1. भारतीय मूल का वह व्यक्ति जो आवेदन करने से पूर्व 7 वर्ष भारत में निवास कर चुका हो।
  2. भारतीय नागरिक से विवाह करने वाला व्यक्ति जो आवेदन की तिथि से पूर्व 7 वर्ष भारत में निवास कर चुका हो।
  3. पूर्ण आयु व क्षमता का वह व्यक्ति जिसके माता-पिता भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हैं।
  4. पूर्ण आयु व क्षमता का वह व्यक्ति जो 5 वर्ष तक समुद्रपारीय भारतीय नागरिक कार्ड धारक हो और आवेदन की तिथि से पहले 12 माह से भारत में रह रहा हो। पंजीकरण से पूर्व व्यक्ति को भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होगी।

कुल मिलाकर आप इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि अगर कोई बच्चा भारत के बाहर पैदा हुआ हो और उसने वंश के आधार पर जन्म से एक साल के भीतर भारत की नागरिकता नहीं ली और जवान होने के बाद उसे भारत की नागरिकता लेने का मन कर रहा है तो वह इस तरीके को अपना सकता है।

 

  1. देशीयकरण द्वारा (By Naturalisation) : - केन्द्र सरकार किसी व्यक्ति को देशीयकरण के प्रमाण पत्र के साथ नागरिकता प्रदान कर सकती है यदि वह निम्नलिखित शर्तें पूरी करता है: -
  1. वह किसी ऐसे देश का नागरिक नहीं है, जहाँ भारतीयों को देशीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करने से वंचित किया जाता हो ।
  2. उसने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए अपने देश की नागरिकता त्याग दी हो।
  3. वह अच्छे चरित्र का हो।
  4. वह संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित किसी एक भाषा का पर्याप्त ज्ञान रखता है।
  5. वह भारत में निवास करने की इच्छा रखता है।
  6. आवेदन से तुरन्त पूर्व वह 12 माह भारत में रहा है या भारत सरकार की सेवा में रहा हो ।
  7. उपर्युक्त 12 माह से पूर्व तुरन्त 12 वर्ष के दौरान वह कुल 11 वर्ष भारत में रहा है या भारत सरकार की सेवा में रहा है।
  8. वह भारतीय संविधान में निष्ठा रखने की शपथ लेता है। किन्तु यदि किसी व्यक्ति ने विज्ञान, कला, साहित्य, दर्शन, विश्व शांति या मानवीय प्रगति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है तो भारत सरकार देशीकरण के माध्यम से नागरिकता प्रदान करने में उपर्युक्त कुछ या सभी शर्तों से छूट प्रदान कर सकती है।

 

  1. क्षेत्र समाविष्ट के आधार पर नागरिकता (Citizenship by incorporation of territory) : - जब किसी क्षेत्र का भारत में विलय किया जाता है तब भारत सरकार यह निर्धारित करती है कि उस क्षेत्र के किन लोगों को भारत का नागरिक समझा जाएगा|

जैसे –1 जब सिक्कम का भारत में विलय किया गया तब सरकार ने सिक्किम नागरिकता आदेश 1975 पारित किया।

2 जब पॉण्डिचेरी और गोवा को भारत में शामिल किया गया तो उसके लोगों को भारत की नागरिकता दी गयी।

⇒ये तो था नागरिकता अर्जन करने का तरीका जिसे कि नागरिकता अधिनियम 1955 के धारा 3 से लेकर 7 तक वर्णित किया गया है। इसी तरह से धारा 8, 9 और 10 नागरिकता समाप्ति से संबन्धित है, आइये संक्षेप में उसे भी समझ लेते हैं;

 

नागरिकता समाप्ति के प्रावधान (Provisions for termination of citizenship) : - जैसा कि हमने समझा तीन तरीके से नागरिकता समाप्त हो सकती है;

  1. स्वैच्छिक त्याग (Voluntary renunciation) : -  भारत का कोई वयस्क नागरिक स्वेच्छा से नागरिकता त्यागने की घोषणा के लिए सरकार के समक्ष आवेदन कर सकता है। एसे व्यक्ति के बच्चों की नागरिकता भी व्यक्ति की नागरिकता के साथ समाप्त हो जाती है। यद्यपि बच्चे वयस्क होने के बाद पुनः भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। वयस्क का अर्थ न्यूनतम 18 वर्ष की आयु पूरी करना है।

 

नोट : -  युद्ध के समय नागरिकता त्याग लम्बित रहेगा

 

  1. बर्खास्तगी के द्वारा (By Termination) : -  धारा 9 के अनुसार, यदि कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप ही बर्खास्त हो जाएगी।
  2.  वंचित करने द्वारा (By depriving) : - भारत की नागरिकता से केवल उन्हें वंचित किया जा सकता है, जिन्होंने पंजीकरण या देशीयकरण के द्वारा नागरिकता प्राप्त की है, अन्य को नहीं। निम्नलिखित आधारों पर ऐसे व्यक्ति की नागरिकता छीनी जा सकती है : -
  1. यदि उसने नागरिकता प्राप्त करने के लिए कपट (fraud) किया है।
  2. यदि वह संविधान का निरादर करता है।
  3. यदि युद्ध के दौरान उसने भारत के शत्रु के साथ व्यापार या कारोबार किया है।
  4. यदि वह नागरिकता प्राप्त करने के बाद अकारण एवं बिना सूचना के निरन्तर 7 वर्षों से भारत से बाहर रह रहा है।
  5. यदि किसी न्यायालय ने नागरिकता प्राप्त करने के 5 वर्ष के भीतर उसे न्यूनतम 2 वर्ष के लिए कारावास की सजा दी है।

 

NOTE : - भारत में नागरिकता (Citizenship In India) - भारत में एकल नागरिकता (Single Citizenship) अपनाई गई है जबकि भारत संघीय राज्य है। अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड आदि संघीय राज्यों में दोहरी नागरिकता है अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति देश का नागरिक होने के साथ-साथ उस राज्य का भी नागरिक होता है, जिसका वह निवासी है। परिणामस्वरूप एक राज्य दूसरे राज्य के नागरिकों के साथ भेदभाव कर सकता है।

किन्तु भारत में पूरे देश में भाईचारे एवं एकरूपता की भावना को प्रोत्साहन देने के लिए दोहरी नागरिकता नहीं अपनाई गई है। बल्कि एकल नागरिकता अपनाई गई है।

किन्तु संविधान में एकल नागरिकता शब्द का वर्णन नहीं है। अनुच्छेद 5  एवं 9 के प्रावधान का निष्कर्ष दर्शाता है कि भारत में एकल नागरिकता है।

Admin ::-DeshRaj Agrawal 

 

 

 

 

03:06 am | Admin


Comments


Recommend

Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

Basic terminology of economic part 3

what is market

अर्थव्यवस्था के संबंध में महत्वपूर्ण शब्दावली ⇒दोस्तों भारत की अर्थव्यवस्था में ज्यादातर शब्दों के मिनिंग से प्रश्न पूछा जाता ह...

0
Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

What is Citizenship

part 2

         भाग-2     नागरिकता ⇒ दोस्तों इस भाग में अनुच्छेद 5 से अनुच्छेद 11 तक है, जिसमे से एक भी अनुच्छेद किसी को नागरिकत...

0

Subscribe to our newsletter