छत्तीसगढ़ मे मजदूर आंदोलन
⇒छत्तीसगढ़ में सेन्ट्रल प्रोविंस(CPमिल्स) का गठन 23 जनवरी 1890 को इग्लैंड के मैकवर्ध ब्रदर्स ने किया, इस समय राजनांदगांव रियासत के राजा बलरामदास थे, जिन्होने इस कारखाने को लगाने के लिए 05 एकड़ भूमि दान में थी ।
नवबंर 1894 में इस मिल का उत्पादन कार्य प्रारंभ हुआ व बलरामदास को इस मिल के संचालन मंडल का अध्यक्ष बनाया गया, परंतु इस मिल का घाटा बढ़ने लगा तो इस मिल को बेच दिया गया, तब इस मिल को कलकत्ता के वालिस शॉ कम्पनी ने खरीदा व इस मिल का नाम बदलकर BNC (बंगाल - नागपुर कॉटन मिल) कर दिया गया ।
नोट :- 1897 में CP मिल का नाम बदल BNC मिल किया गया ।
इस समय राजनांदगांव को "छत्तीसगढ़ का पेरिस" कहा जाता था ।
⇒छत्तीसगढ़ में कुल तीन मजदुर आन्दोलन हुए है |
1.प्रथम मजदूर आंदोलन (दिसबंर 1919 - जनवरी 1920)
सन् 1919 में ठाकुर प्यारेलाल जब मजदूरो के सम्पर्क में आये तब उन्हे जानकारी लगी कि मजदूरो का शोषण किया जा रहा है, इसलिए उन्होने मजदूरो को हिदायत दी कि वह एक मजदूर यूनियन का गठन करे । अतः मजदूरो के द्वारा एक यूनियन बनाया गया और इस यूनियन में अपनी मांगे ठाकुर प्यारेलाल के नेतृत्व में मिल मालिको के समक्ष रखी, यह मांगे थी :-
1. कार्य करने कि अवधी को 12 घंटे से घटाकर 08 घंटे किया जाए ।
2. वेतन बढ़ाया जाए ।
3. काम करने कि स्थिती मे सुधार किया जाए ।
⇒ दिसबंर 1919 में यह हड़ताल प्रांरभ हुयी, इस हड़ताल को बंद करने के लिए मिल मालिको ने कई प्रयास किये परंतु वह असफल रहे ।
इस हड़ताल कि खबर सभी राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में भी छपी, अतः इस हड़ताल के सर्मथन मे राष्ट्रीय स्तर के मजदूर नेता वी. वी. गिरि भी शामिल हुए ।
यह हड़ताल 37 दिनों तक चला अंततः मिल प्रबंधको को मजदूरो कि मांगो को मानना पड़ा इस तरह यह आंदोलन सफल रहा ।
मिल प्रबंधको ने इस आंदोलन का जिम्मेदार ठाकुर प्यारेलाल को माना और उन्हे राजनांदगांव रियासत से निष्कासित करने का आदेश दिया ।
ठाकुर प्यारेलाल ने इस निष्काशन के विरूद्ध अपील मध्य प्रांत के गवर्नन से कि, जिन्होन उनका निष्काशन आदेश को रद्द किया ।
2. दूसरा मजदूर आंदोलन (1924)
> दूसरा मजदूर आंदोलन 1924 में प्रांरभ हुआ यह आंदोलन भी उन्ही मांगो को लेकर किया गया था जिसके लिए BNC मिल आंदोलन हुआ था ।
> BNC मिल के बाहर मजदूरो द्वारा एक जातीय भोज का आयोजन किया गया, तब वहां बाबू गंगाधर राव कुछ सैनिको के साथ आया और खाना बनाने वाले बर्तनो में लात मारी जिससे मजदूर नारज होकर बाबू गंगाधर राव को थप्पड़ मार दिये जिसके कारण 13 मजदूरो को पकड़ लिया गया ।
> इन मजदूरो को जब अदालत मे पेश किया जा रहा था तो उनके साथियों ने इन मजदूरो को छुड़वाने का प्रयास किया तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस द्वारा गोली चालन किया गया जिसमे 01 मजदूर जरहू गोंड़ कि मृत्यु व 12 लोग जख्मी हुए। इस सम्पूर्ण घटना का जिम्मेदार ठाकूर प्यारेलाल को माना गया व उन्हे राजनांदगांव रियासत से निश्कासित कर दिया गया ।
उन्होने इस निश्कासन के विरूद्ध अपी मध्यप्रांत के गवर्नर के पास कि परंतु गवर्नर ने उनके निश्कासन आदेश को रद्द नही किया ।
> इस तरह ठाकुर प्यारेलाल राजनांदगांव रियासत को छोड़कर रायपुर चले गए ।
3. तीसरा मजदूर आंदोलन (1937)
⇒1937 में मजदूरो के वेतन मे 10 प्रतिशत कि कटौती कर दी गयी, जिसका विरोध मजदूरों ने किया । मजदूरो ने अपनी मांग रूईकर के नेतृत्व में मिल प्रबंधको के सामने रखी ।
> यह तय किया गया कि या तो मिल प्रबंधक 600 मजदूरो को नौकरी से निकालकर बाकि मजदूरो के वेतन मे कटौती नही करेंगे या 10 प्रतिशत वेतन कटौती वाले प्रस्ताव को ही जारी रखेंगे
> इस स्थिती में मजदूरो ने आंदोलन कि जिम्मेदारी ठाकुर प्यारेलाल को सौंपने का निश्चय किया चूंकि राजनांदगांव का रेल्वे स्टेशन उस रियासत के अंतर्गत नही आता था अतः ठाकुर प्यारेलाल ने राजनांदगांव के रेल्वे स्टेशन से इस आंदोलन को संचालित किया ।
> अंत में मिल पंबधको ने ठाकुर प्यारेलाल को बतचीत हेतू बुलाया व निर्णय लिया कि, किसी भी मजदूर के वेतन मे न ही कटौती कि जायेगी और न ही नौकरी से निकाला जायेगा ।
ठाकुर प्यारेलाल के राजनांदगांव रियासत के निश्कासन का आदेश भी रद्द कर दिया गया ।
12:15 pm | Admin
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