What are the causes and effects of El Niño and La Niña?

1607,2024

अल नीनो और ला नीना का परिचय

अल नीनो और ला नीना दो प्राकृतिक घटनाएँ हैं जो प्रशांत महासागर में होती हैं और वैश्विक जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। 

अल नीनो (El Niño)

अल नीनो एक जलवायु घटना है जिसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के सतह के पानी का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। यह घटना हर 2 से 7 साल में घटित होती है।

 ला नीना (La Niña)

ला नीना इसके विपरीत घटना है जिसमें मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर का सतह तापमान सामान्य से ठंडा हो जाता है। यह भी अल नीनो के बाद या पहले घटित होती है और 2 से 7 साल के अंतराल पर होती है।

भारतीय मानसून पर प्रभाव

 अल नीनो का प्रभाव

1. कम वर्षा: अल नीनो के दौरान भारतीय मानसून कमजोर हो जाता है, जिससे देश में कम वर्षा होती है।

2. सूखा: अल नीनो की वजह से मानसून में कमी के कारण भारत के कई हिस्सों में सूखा पड़ सकता है।

3. कृषि पर प्रभाव: कम वर्षा के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे खाद्यान्न संकट और आर्थिक नुकसान हो सकता है।

4. गर्मी: अल नीनो के दौरान सामान्य से अधिक गर्मी का अनुभव किया जा सकता है।

ला नीना का प्रभाव

1. अधिक वर्षा: ला नीना के दौरान भारतीय मानसून मजबूत होता है, जिससे देश में अधिक वर्षा होती है।

2. बाढ़: अत्यधिक वर्षा के कारण भारत के कुछ हिस्सों में बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है।

3. कृषि पर सकारात्मक प्रभाव: अधिक वर्षा के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, जिससे खाद्यान्न की बेहतर आपूर्ति होती है।

4. ठंडक: ला नीना के दौरान सामान्य से अधिक ठंडक का अनुभव हो सकता है, विशेषकर सर्दियों के मौसम में।

 सारांश

  • अल नीनो भारतीय मानसून को कमजोर करता है, जिससे कम वर्षा, सूखा और कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • ला नीना भारतीय मानसून को मजबूत करता है, जिससे अधिक वर्षा, बाढ़ और कृषि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इन घटनाओं का भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, विशेषकर कृषि आधारित समाज में जहां मानसून की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

01:07 am | Admin


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