ढोलकल गणेश छत्तीसगढ़

1909,2023

ढोलकल गणेश

छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता ,लोककला व संस्कृति के लिए जाना चाहता है इस क्रम मे छत्तीसगढ़ के   जिला दंतेवाड़ा में बैलाडिला पहाड़ी में 3000 फीट ऊंचा एक सुंदर स्थान है। यहां भगवान गणेश की 3 फीट सुंदर पत्थर की मूर्ति  विराजमान है माना जाता है कि यह मूर्ति 10 वीं और 11 वीं शताब्दी के बीच नागा वंश के दौरान बनाई गई थी, यह साइट का मुख्य आकर्षण है। 

 

जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से 13 किमी दूर स्थित, यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, और उन लोगों के लिए जो हरे पहाड़ियों के बीच ट्रेक करना पसंद करते हैं।

इस मूर्ति में गणेश जी ने अपने उपरी दाएं हाथ में फरसा और उपरी बाएं हाथ में अपना टूटा हुआ दांत पकड़े हुए हैं। निचले दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में मोदक पकड़े हुए हैं। यह ढोलकल गणेश मंदिर अपने आप में एक रहस्य लिए हुए है क्योंकि यहां मानव बसाहट से दूर घने जंगल के बीच 3000 फीट की ऊंचाई में इस मूर्ति को स्थापित करने का कारण किसी को नहीं पता इसलिए यह रहस्य बना हुआ है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब परशुराम शिव भगवान से मिलने गये थे तब  गणेश जी ने अपने पिता का आज्ञा का पालन करते हुए उन्हें इंतजार करने को कहा । परशुराम इस बात से क्रोधित हो गए और इस तरह गणेश जी और परशुराम के मध्य युद्ध हो गया , परशुराम जी के वार से गणेश जी का एक दांत टूट गया।गणेश जी की प्रतिमा ढोलक के आकार की बताई जाती है। यही वजह है क‍ि इस पहाड़ी को ढोलकल पहाड़ी और ढोलकल गणपत‍ि के नाम से पुकारा जाता है।
 परशुरामजी के फरसे से गणेशजी का दांत टूटा था, इसलिए पहाड़ी के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया।  ऐसा माना जाता है कि जिस जगह पर धरती लोक में युद्ध हुआ वो स्थल बैलाडीला पर्वत श्रेणी है

गणपति बप्पा मोरया

12:56 pm | Admin


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