जीआई टैग जिसे भौगोलिक संकेत टैग (Geographical Indication )टैग भी.कहा जाता है।।।दरअसल किसी क्षेत्र विशेष मे जब कोई उत्पाद होता है जो उस क्षेत्र की ही विशेषता है तो उस उत्पाद की डुप्लीकेसी व अन्य दुरूपयोग को रोकने व उस उत्पाद को दर्जा दिलाने जीआई टैग दिया जाता है।।
हर जगह की अपनी एक विशेषता होती है। भारत अपने विशेष खान-पान तथा रहन-सहन और कला संस्कृति के लिए विश्व भर में जाना जाता है। देश में उच्चतम क्वालिटी की वस्तुओं का उत्पादन भारी मात्रा में होता है।भारत मे प्रत्येक राज्य की अपनी संस्कृति व पहचान है।। और वह पहचान वहां पायी जाने वाली संस्कृति, खान -पान ,उत्पादित वस्तुओं के आधार पर राज्यों को मिली है।।
बिहार के पश्चिम चंपारण के प्रसिद्ध मर्चा चावल को सरकार ने जीआई टैग (GI Tag) दिया है. इस लिस्ट में मर्चा चावल के अलावा कतरनी चावल, भागलपुरी जर्दालू आम, मगही पान, शाही लीची और मिथिला मखाना भी शामिल हैं. जब से मर्चा चावल को जीआई टैग मिला है, जीआई टैग को काफी सर्च किया जा रहा है. लोग जानना चाह रहे हैं कि आखिर जीआई टैग.क्या है
भारत की संसद ने वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत 'जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स' Act लागू किया था. 2003 में जीआई टैग देने की शुरुआत हुई थी. साल 2004 में सबसे पहले पश्चिम बंगाल की दार्जलिंग चाय को जीआई टैग दिया गया
जीआई टैग के जरिये उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है, मतलब मार्केट में उसी नाम से दूसरा प्रोडक्ट नहीं लाया जा सकता है. इसके साथ ही जीआई टैग किसी उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता का पैमाना भी होता है, जिससे देश के साथ-साथ विदेशों में भी उस उत्पाद के लिए बाजार आसानी से मिल जाता है।।।
किसी उत्पाद के लिए GI TAG प्राप्त केने के लिए सबसे पहले तो आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करना होता है कोई भी व्यक्तिगत निर्माता, संगठन इसके लिए भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) में आवेदन कर सकता है. CGPDTM उस उत्पाद के उचित मानकों का परीक्षण करती है. जैसे ही यह उत्पाद मानकों पर खरा उतरता है इसे GI टैग दिया जाता है.
जीआई टैग सिर्फ 10 साल के लिए मिलता है. इसके बाद में रिन्यू करा सकते हैं. जीआई टैग मिलने से प्रोडक्ट का मूल्य और उससे जुड़े लोगों का अहमियत बढ़ जाती है. फेक प्रॉडक्ट को रोकने में मदद मिलती है।।
देश में इस समय 300 से ज्यादा उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है. इनमें कश्मीर का केसर और पश्मीना शॉल, नागपुर के संतरे, बंगाली रसगुल्ले, बनारसी साड़ी, तिरुपति के लड्डू, रतलाम की सेव, बीकानेरी भुजिया, अलबाग का सफेद प्याज, भागलपुर का जर्दालु आम, महोबा का पान आदि शामिल हैं.
जीआई टैग के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं जिसमें कृषि से जुड़े उत्पाद जैसे- उत्तराखंड का तेजपात, बासमती चावल, दार्जिलिंग टी, किसी खास किस्म का मसाला इत्यादि।।
हैंडीक्राफ्ट्स:::::----जैसे बनारस की साड़ी, चंदेरी साड़ी, महाराष्ट्र सोलापुर की चद्दर, कर्नाटक का मैसूर सिल्क। तमिलनाडु का कांचीपुरम सिल्क।
उत्पाद:::::/- जैसे तमिलनाडु का इस्ट इंडिया लेदर, गोवा की फेनी, उत्तर प्रदेश के कन्नौज का इत्र आदि।
खाद्य सामग्री::::----आंध्र प्रदेश के तिरुपति का लड्डू, राजस्थान की बीकानेरी भुजिया, तेलंगाना के हैदराबाद की हलीम, पश्चिम बंगाल का रसोगुल्ला, मध्य प्रदेश का कड़कनाथ मुर्गा इत्यादि शामिल हैं।।
हाल ही मे दिये गये GI Tag .
चोकुवा चावल-असम
रायगड़ा शॉल-.ओडिशा
साबुदाना--तमिलनाडु
खामती चावल-अरुणाचल प्रदेश
कुंबम अंगूर- तमिलनाडु
पश्मीना क्राफ्ट-जम्मू कश्मीर
भद्रवाह राजमा--जम्मू कश्मीर
याक चुरपी--अरुणाचल प्रदेश
मर्रा चावल-बिहार
नीचे दिये प्रश्न का उत्तर कमेंट बॉक्स में दें
प्रश्न:::- भौगोलिक संकेत (GI) टैग किस एक्ट के अनुसार दिया जाता है?
(a) भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957
(b) नया डिजाइन अधिनियम 2000
(c) पेटेंट एक्ट, 1970
(d) भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999
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