ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट जारी कर दी गई है इस रिपोर्ट मे भारत की स्थिति पिछले वर्ष से खराब बताई गई है ,2023 मे भारत की रैंकिंग 111 है जबकि 2022 में भारत 97वें नंबर पर था ,मतलब भारत 4 रैंक और नीचे खिसक गया है हालांकि भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को गलत बताकर खारिज कर दिया.है।।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स से पता चलता है कि किसी देश में भुखमरी और कुपोषण के कैसे हालात हैं? रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस मामले में भारत की स्थिति और खराब होती जा रही है.पिछले साल 121 देशों की रैंकिंग में भारत 107वें नंबर पर था. 2021 में 101वें और 2020 में भारत 94वें नंबर पर था।।।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स दुनियाभर में भूख को मापने तरीका है.
इसे चार पैमानों पर मापा जाता है.
(1)कुपोषण
(2)बच्चों में वेस्टिंग या ठिगनापन (उम्र के हिसाब से कम हाइट)
(3) बच्चों का वजन Stunting (हाइट के हिसाब से कम वजन)
(4)बाल मृत्यु दर (5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत)
ग्लोबल हंगर इंडेक्स का कुल स्कोर 100 प्वॉइंट का होता है. इसके आधार पर किसी देश में भूख की गंभीरता का पता लगाया जाता है. अगर किसी देश का स्कोर 0 है तो वहां अच्छी स्थिति है. लेकिन किसी देश का स्कोर 100 है, तो वो बेहद खराब स्थिति में है.
भारत का स्कोर 28.7 है और उसे 'गंभीर' स्थिति में रखा गया है. पाकिस्तान का स्कोर 26.6 है और वो भी 'गंभीर' स्थिति में है. बांग्लादेश का स्कोर 19.0, नेपाल का 15.0 और श्रीलंका का 13.3 है।।।सूचकांक में भारत के पड़ोसी देशों का प्रदर्शन उससे बेहतर रहा है. बांग्लादेश 81वें, नेपाल 69वें और श्रीलंका 60वें के बाद पाकिस्तान 102वें स्थान पर है.।।।।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बच्चों में वेस्टिंग रेट दुनिया में सबसे ज्यादा है. यानी, यहां के बच्चों का वजन उनकी हाइट के हिसाब से कम है. भारतीय बच्चों में वेस्टिंग रेट 18.7 फीसदी है. जबकि, 35.5% बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कम हाइट के हैं. इंडेक्स के मुताबिक, भारत की 16.6 फीसदी आबादी कुपोषित है. वहीं, बाल मृत्यु दर 3.1% है. यानी, भारत में पैदा होने वाले हर 1000 में से 3.1% बच्चे पांच साल भी नहीं जी पाते.
भारत सरकार का स्टैंड:::::----सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है. सरकार ने हंगर इंडेक्स में रैंकिंग मापने के तरीके को गलत बताया है.महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि इसको मापने के चार में तीन पैमाने बच्चों की हेल्थ से जुड़े हैं और ये पूरी आबादी की तस्वीर नहीं बताते हैं. वहीं, कुपोषण का अनुमान पोल के जरिए किया गया है, जिसमें 3000 लोग हिस्सा लेते हैं.मंत्रालय का कहना है कि पोषण ट्रैकर के मुताबिक, बच्चों में वेस्टिंग रेट (हाइट के हिसाब से वजन) 7.2% से भी कम है ऐसे मे इस रिपोर्ट के आंकड़े गलत हैं।।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स. इसके हर साल ताज़ा आंकड़ें आते हैं. दुनिया भर में भुखमरी से संबंधित चल रहे अभियानों की उपलब्धि और नाकामी का आंकलन किया जाता है. इसकी रिपोर्ट तैयार करती हैं दो संस्थाएं -
आयरलैंड की 'कंसर्न वर्ल्ड वाइड' और जर्मनी की 'वेल्ट हंगर हिल्फ' आंकलन के लिए GHI स्कोर. अर्थात, ग्लोबल हंगर इंडेक्स स्कोर. के आधार पर गणना की जाती है।।
सबसे पहले यह 2006 मे बनाया गया था। GHI को शुरुआत में अमेरिका स्थित अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) और जर्मनी स्थित Welth Hunger Hilf द्वारा प्रकाशित किया गया था । 2007 में, आयरिश एनजीओ Concern Worldwide भी सह-प्रकाशक बन गया। 2018 में IFPRI परियोजना से हट गया और ग्लोबल हंगर इंडेक्स "Welth Hunger Hilf व कंसर्न वर्ल्डवाइड की एक संयुक्त परियोजना बन गई।
Published By DeshRaj Agrawal
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