अप्रवासी घाट (Aapravasi Ghat ) मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुइस मे स्थित एक यूनेस्कों वर्ल्ड हेरिटेज साइट है ये वो जगह हैं जहां ब्रिटिश काल मे विभिन्न देशों से गिरमिटिया मजदूर गन्ना की खेती के लिए आते थे।।ब्रिटिश चाय व चीनी पर अपना एकाधिकार चाहते थे इसके लिए उन्हे सस्ते श्रमिकों की जरुरत थी।
पहले वे गुलामों के जरिए ये करते थे लेकिन 1833 मे दास प्रथा के अंत के बाद इन्होने गिरमिट पद्वति से मजदूरों. को भर्ती किया और इन्हे गिरमिटिया नाम दिया।2 नवंबर 1834 को 36 भारतीय मज़दूर मॉरीशस में ठेके पर मज़दूरी करने गए थे. इस पहले दल ने जिन सीढ़ियों पर चढ़कर मॉरीशस की ज़मीन पर कदम रखा था, वो आज भी मौजूद हैं.
अप्रवासी घाट की इन सीढ़ियों पर चढ़कर अगले 80 साल तक लाखों भारतीय गन्ने के खेतों में काम करने पहुंचते रहे।।यह घाट भारत से लाये गए अनुबन्धित श्रमिकों एवं श्रम कर्मचारियों तथा गिरमिटिया मजदूरों का एक आव्रजन डिपो या केन्द्र था जो कालान्तर में एक ब्रिटिश उपनिवेश बन गया।
1849-1923 के बीच लगभग 5 लाख से अधिक अनुबन्धित भारतीय अनुबन्धित श्रमिकों के रूप में इस इमिग्रेशन डिपो से गुजरे जिन्हें ब्रिटिश साम्राज्य भर में फ़ैले फैक्ट्री में भेजा गया था। इस वृहत स्तर पर भेजे जा रहे श्रमिकों के आव्रजन से बहुत सी पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश के समाजों पर एक अमिट छाप छोड़ दी। इनमें अधिकांश संख्या भारतीयों की थी।
मात्र मॉरीशस में ही वर्तमान कुल जनसंख्या का 68% भारतीय मूल से ही है। इस प्रकार ये आप्रवास डिपो या घाट मॉरीशस की एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहचान बन गया है।।
इस घाट मे आज भी इमारते ,अस्पताल जैसी चीजें उपलब्ध है मॉरीशस मे 2 नवंबर को अप्रवासी दिवस मनाया जाता है ।।भारतीयों की कई पीढियां आज भी वहां मौजूद है वहां की करेंसी भी रुपया है।
सामजिक इतिहास में अप्रवासन डिपो की भूमिका को यूनेस्को द्वारा मान्यता दी गई थी जब इसे 2006 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया ।।यह स्थल अप्रवासी घाट ट्रस्ट फंड के प्रबंधन के तहत है।।।
अप्रवासी घाट हमारे लोगों के खून और पसीने के अटूट बंधन का एक स्मारक है। ज्वालामुखी की चट्टान से बने घाट की सीढ़ियां हमें याद दिलाती हैं कि हमारे लाखों पूर्वजों को हिंद महासागर पार कर यहां कैसे लाया गया और उनके प्रियजनों को कठोर व कष्टदायी जीवन भोगने के लिए पीछे ही छोड़ दिया गया। महात्मा गांधी भी करीब 110 वर्ष पहले दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटते समय दो सप्ताह मॉरीशस में रुके थे।
Admin:-DeshRaj Agrawal
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