Supreme Court Rejected Same Sex Marriage petition

2510,2023

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage)को कानूनी मान्यता देने की याचिका को  ठुकरा दिया है जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5  न्यायाधीशों की बेंच ने  3-2 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया है. ।।। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मौलिक अधिकार मानने से भी इंकार कर दिया है.     

 Same Sex Marriage

इस फैसले ने LGBTQIA+ समुदाय के लोगों को झटका लगा  है.आपको बताते चलें Lesbian ,Gau ,Bisexual , Transgender,Queer ,Intersex ,Asexual और + का अर्थ.इससे जुड़ी बाकी आइडेंटिटी के लिए यह शब्द प्रयोग किया जाता है।। समलैंगिक विवाह के मुद्दे कोर्ट ने कहा कि जब शादी का अधिकार वैधानिक होता है मौलिक नहीं।। तो इसे क़ानूनी तौर पर लागू नहीं किया जा सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों के अधिकारों के लिए जागरुकता अभियान चलाने की बात कही है साथ ही यह भी कहा है कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा यह  सुनिश्चित किया जाये कि उनके साथ कोई भेदभाव न हो।।

कोर्ट  ने कहा कि स्पेशल मैरिज  एक्ट में बदलाव का अधिकार सरकार और संसद के पास है. साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोर्ट को विधायी मामलों में हस्तक्षेप करने से दूर रहना चाहिए.      

सुप्रीम कोर्ट ने  समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है और साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए बेहतर कदम उठाने की बात कही है.   कोर्ट के पास विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करने का अधिकार नहीं है.साथ ही समलैंगिकों के लिए कोई कानूनी ढांचा बनाने का अधिकार  भी नहीं है. सीजेआई ने यह भी बताया कि Same Sex Marriage विशेष विवाह अधिनियम के दायरे में ही रहेगा.  

केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह  समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के पक्ष में नहीं है. इसे मान्यता देना देश की परंपरा के खिलाफ है और इसके लिए कई कानूनों और प्रावधानों में बदलाव करना होगा।यह देश की सांस्कृतिक और सभ्यता से मेल नहीं खाती है।

फिलहाल US,UK ,Australia समेत 34 देशों मे इसे वैधानिक मान्यता है ,Estonia इसे लागू करने वाला 35वां देश होगा।

Same Sex Marriage पक्ष में तर्क:-

 सभी व्यक्तियों को अपनी पसंद से  विवाह करने और परिवार बनाने का अधिकार है

समान-लिंग वाले जोड़ों को विपरीत-लिंग वाले जोड़ों के समान कानूनी अधिकार और सुरक्षा मिलनी चाहिये।

समलैंगिक विवाह को मान्यता न मिलना भेदभाव के समान है।

विश्व भर के कई देशों में समलैंगिक विवाह वैधानिक है और लोकतांत्रिक समाज में व्यक्तियों को इस अधिकार से वंचित करना वैश्विक सिद्धांतों के विरुद्ध है।

 Same Sex Marriage विपक्ष में तर्क:-

 कई धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों का मानना है कि विवाह केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच ही होना चाहिये यह  विवाह की पारंपरिक परिभाषा को बदलना उनकी मान्यताओं और मूल्यों के मूलभूत सिद्धांतों के विरुद्ध होगा।

कुछ लोगों का तर्क है कि विवाह का प्राथमिक उद्देश्य प्रजनन है और समान-लिंग वाले जोड़े जैविक रूप से जनन नहीं कर सकते।।।

 समलैंगिक विवाह की अनुमति देने से वैधानिक समस्याएँ उत्पन्न होंगी, जैसे- विरासत, कर और संपत्ति के मुद्दे।।

भारत जैसे सांस्कृतिक देश मे जहां पारंपरिक ,धार्मिक मूल्य महत्वपूर्ण हैं वहां इसे लागू कर पाना कठिन लगता है खुद केंद्र सरकार इससे छेड़छाड़ नही करना चाहेगी अब जबकि न्यायालय मे भी यह खारिज हो चुका है तो इसकी उम्मीद फिलहाल कम लगती है कि सरकार इसे मान्यता देगी।।

 

नोट:-दोस्तो मेरा प्रयास आप तक खासकर हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए सारी महत्वपूर्ण जानकारियां एक मंच पर लाना है यदि आप किसी विशेष मुद्दे पर जानकारी चाहते हैं तो मुझे फेसबुक पर मैसेज या वेबसाइट पर रिक्वेस्ट कर सकते हैं।

Published by DeshRaj Agrawal 

10:04 am | Admin


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