CLASSIFICATION OF ECONOMY PART 1

2610,2023

                            

अर्थव्यवस्था का वर्गीकरण

⇒दोस्तों अर्थशास्त्र के व्यावहारिक रूप को ही अर्थव्यवस्था कहा जाता है, इसे निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है:-

  1. राज्य या सरकार की भूमिका/सहभागिता/ या नियंत्रण के अधर पर
  2. विकास की अवस्था के आधार पर
  3. निर्भरता के आधार पर
  4. अंतर्संबंध के आधार पर

आइये इन सब वर्गीकरण को एक-एक करके बहुत विस्तार से समझते है –

(a) राज्य या सरकार की भूमिका या सहभागिता या नियंत्रण के आधार पर अर्थव्यवस्था 3 प्रकार का होता है –

  1. समाजवादी अर्थव्यवस्था
  2. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था
  1. समाजवादी अर्थव्यवस्था (socialist economy) :-  समाजवादी अर्थव्यवस्था का अर्थ संसाधनों का राष्ट्रीकरण से है|
  • इसमें उत्पादन एवं वितरण पर राज्य या सरकार का नियंत्रण होता है|
  • उत्पाद की कीमत भी सरकार द्वारा निर्धारित होती है|
  • इस व्यवस्था में जनकल्याण प्राथमिक होता है जबकि लाभ गौंड होता है |
  • यह अर्थव्यवस्था बंद या खुले या आंशिक रूप से बंद या आंशिक रूप से खुले अर्थव्यवस्था हो सकती है |

    # लाभ :- * समाजवादी अर्थव्यवस्था में संसाधनों का न्यायोचित वितरण होता है |

  • आर्थिक व लैंगिक समानता में वृद्धि होती है|
  • पूंजी का विकेंद्रीकरण होता है, परिणामतः गरीबी में कमी आती है जिससे लोकतंत्र को मजबूती मिलती है |
  • गरीबों के प्रति संवेदनशील ज्यादा होती है |

    # कमियां :-

  • निवेशक, निवेश में रूचि नहीं लेते परिणामतः बाज़ार में प्रतिस्पर्धा में कमी आती है
  • औद्दोगीकरण में कमी
  • उत्पाद की गुणवत्ता में कमी

नोट:- समाजवादी अर्थव्यवस्था का पहली बार सिद्धांत जर्मन दार्शनिक कार्लमार्क्स ने (1818-1833) में दिया था,जो एक व्यवस्था के तौर पर पहली बार 1917 की वोल्शेविकक्रांति के बाद सोवियत संघ रूस में नजर आई |

  1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था(capital economy) :-  पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का अर्थ संसाधनों का निजीकरण से होता है |
  • उत्पादन एवं वितरण निजी क्षेत्र द्वारा होता है |
  • उत्पाद की कीमत बाज़ार द्वारा निर्धारित होता है, और बाज़ार में 2 कारक काम करता है| एक मांग और दूसरा आपूर्ति

    मांग > आपूर्ति = कीमतों में वृद्धि

    मांग < आपूर्ति = कीमतों में कमी

     # लाभ :-

  • निवेशक निवेश करने में रूचि लेते है, परिणामतः बाज़ार में प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होती है |
  • उत्पाद के गुणवत्ता में वृद्धि परिणामतः उपभोक्ता को लाभ |
  • औद्दोगीकरण में वृद्धि
  • निर्यात में वृद्धि परिणामतः विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि |

    # कमियां :-

  • संसाधनों का असमान वितरण |
  • आर्थिक असमानता की संभावना होती है |
  • गरीबों के प्रति अत्यंत कम सवेधान्शिलता परिणामतः लोकतंत्र की कमजोर होने की संभावना |
  • पूंजी का केन्द्रीकरण की संभावना

नोट :- 1776 में प्रकासित एडम स्मिथ की मशहूर किताब the wealth of nations” को पूंजीवादी का उद्दगम स्रोत मन जाता है |

  1. मिश्रित अर्थव्यवस्था(mixed economy) :- मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ उत्पादन में राज्य या सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भी भूमिका होती है |
  • कुछ उत्पादों की कीमत सरकार निर्धारित करती है तो कुछ उत्पादों की कीमत बाज़ार द्वारा निर्धारित होता है |
  • स्वतंत्रता के बाद भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को स्वीकार किया गया |

नोट :- इसका विचार देने वाले जॉन मेनार्ड केन्स थे, जो 1936 में उभरकर सामने आया |

03:13 am | Admin


Comments


Recommend

Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

India's first National Dolphin Research Center

भारत का पहला नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर ⇒ 4 मार्च, 2024 को पटना (बिहार) में नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना पटना विश्वविद्याल...

0
Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

Why It's Called olympic ,Know history of Olympics

Olympics ,History Of Olympics

दोस्तो ओलंपिक का नाम तो सभी ने सुना होगा लेकिन इसे ओलंपिक क्यों कहते हैं इसका इतिहास क्या है ये आज हम इस पोस्ट मे सरल शब्दों मे समझेंगे...

0

Subscribe to our newsletter