अर्थव्यवस्था के संबंध में महत्वपूर्ण शब्दावली
⇒दोस्तों भारत की अर्थव्यवस्था में ज्यादातर शब्दों के मिनिंग से प्रश्न पूछा जाता है, यदि आपको शब्द का अर्थ पता है तो आगे के टॉपिक में कोई परेशानी नहीं होगी|
1. मुद्रा ( money)
2. पूँजी उत्पाद अनुपात (capital output ratio)
3. कर(Tax), शुल्क(Duty) एवं फीस(Fees) में अंतर
⇒आइये एक-एक Terminology को समझते है, जहाँ से सीधे आपके परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते रहे है :-
1. मुद्रा ( money) : - मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है जो कई रूप ले सकता है, जिसमें भौतिक मुद्रा, सिक्के, बैंक जमा और क्रिप्टोकरेंसी जैसी डिजिटल मुद्राएं शामिल हैं।
⇒मुद्रा की प्राथमिक कार्य : -
(a) विनिमय का माध्यम(Medium of exchange) : - धन का उपयोग वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के साधन के रूप में किया जाता है। इसका मतलब यह है कि लोग बिना वस्तु विनिमय की आवश्यकता के वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए पैसे का उपयोग कर सकते हैं।
(b) सर्वग्राह्यता(universal acceptability) : - मुद्रा वह पदार्थ है जिसे जनसामान्य द्वारा लेन-देन के रूप में स्वीकार किया जाता है तथा जिसे सरकारी मान्यता प्राप्त होती है।
⇒मुद्रा की द्वितीयक कार्य :-
(a) मूल्य संग्राहक(Store of value) : - पैसा लोगों को भविष्य के लिए बचत करने और निवेश करने की अनुमति देता है। पैसा बचाया जा सकता है और बाद में सामान और सेवाओं को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
(b) मूल्य का मानक(standard of value) : - मूल्य का एक मानक अमेरिकी डॉलर या सोना जैसे विनिमय माध्यम में लेनदेन के लिए एक सहमत मूल्य है।
(c) मूल्य की इकाई(Unit of value) : - पैसा वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का एक सामान्य माप प्रदान करता है। इससे विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों की तुलना करना और क्या खरीदना है इसके बारे में निर्णय लेना आसान हो जाता है।
मुद्रा के प्रकार- मुद्रा को कई आधारों पर कई वर्गों में बाँटा जा सकता है। यहां पर हम मुद्रा की भौतिक स्थिति एवं मांग के आधार पर मुद्रा का वर्गीकरण बता रहें हैं-
⇒डियर मनी का प्रभाव : - जब पैसा उच्च ब्याज दर पर प्राप्त होगा तो उधारियां महंगा होगा जिससे लोग बैंक से उधार कम लेंगे परिणामतः उद्योग में निवेश कम होगा जिससे औद्योगीकरण कम, औद्योगीकरण कम तो रोजगार का सृजन कम जिससे गरीबी में वृद्धि हो सकती है |
⇒ चिप मनी का प्रभाव : - जब पैसा कम ब्याज दर पर प्राप्त होगा तो उधारियां सस्ता होगा जिससे लोग बैंक से उधार ज्यादा लेंगे परिणामतः उद्योग में निवेश ज्यादा होगा जिससे औद्योगीकरण ज्यादा, औद्योगीकरण ज्यादा तो रोजगार का सृजन ज्यादा जिससे गरीबी में कमी हो सकती है |
जैसे – विदेशी मुद्रा
अर्थव्यवस्था में तरलता (Liquidity) - अर्थव्यवस्था में तरलता दो प्रकार से हो सकती है –
⇒मुद्रा का मापन : - किसी भी समय अर्थव्यवस्था में कुल मुद्रा को मापने के लिए केन्द्रीय बैंक कुछ मापक का प्रयोग करते हैं। भारत के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा 1977 में एक वर्क फोर्स का गठन किया गया, जिसके द्वारा बाजार में किसी समय पर कितनी मुद्रा उपलब्ध है, मापने के लिए 4 मापक तय किये गए जिन्हें M1, M2, M3 एवं M4 नाम से जाना जाता है।
CU अर्थात लोगों के पास उपलब्ध नगद (नोट एवं सिक्के), DD अर्थात व्यावसायिक बैंकों के पास कुल निवल जमा एवं रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाये। निवल शब्द से बैंक के द्वारा रखी गयी लोगों की जमा का ही बोध होता है और इसलिए यह मुद्रा की पूर्ति में शामिल हैं। अंतर बैंक जमा, जो एक व्यावसायिक बैंक दूसरे व्यावसायिक बैंक में रखते हैं, को मुद्रा की पूर्ति के भाग के रूप में नहीं जाना जाता है।
M1 से M4 की तरफ जाने पर मुद्रा की तरलता घटती है, परन्तु बाजार की तरलता बढ़ती जाती है।
M1>M2>M3>M4
संकुचित मुद्रा (Narrow Money)= M1 को संकुचित मुद्रा भी कहते है क्योंकि मात्रा में ये अन्य सभी से सबसे कम होती है, अर्थात इसमें पैसा सबसे कम होता है।
वृहद/बड़ी मुद्रा (Broad Money)= M3 को वृहद मुद्रा कहते है। सामान्यतः वृहद मुद्रा M4 को होना चाहिए परन्तु M1 से M4 तक जाते जाते उसे प्रयोग करना कठिन हो जाता है। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि उसकी (M4) की तरलता इतनी कम है कि उसे प्रयोग नहीं किया जा सकता अतः M3 को ही वृहद मुद्रा कहा जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा का मूल्य निर्धारण
1. अधिमूल्यन (Overvaluation) – मुद्रा का मूल्य बढ़ाना
2. अवमूल्यन (Devaluation)- मुद्रा का मूल्य घटाना
अवमूल्यन (Devaluation) करने की स्थितियां –
1. जब किसी देश की सरकार के पास विदेशी मुद्रा की कमी हो जाती है तो वो जानबूझकर अपनी मुद्रा का मूल्य घटाकर (अवमूल्यन) कर विदेशी मुद्रा को संग्रहित करती है।
2. जब किसी देश को निर्यात बढ़ाना हो और आयात घटाना हो, तब भी मुद्रा का अवमूल्यन किया जाता है। इस अवधारणा को अर्थशशास्त्रियों ने j वक्र कहा है।
02:44 am | Admin
क्या Cgpsc के लिए कोचिंग जरुरी है? आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है और दुविधा मे है कि कौन सी कोचिंग करें ,कोचिंग करे या नही ,सेल...
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