Note for Vote case : supream court

0503,2024

'वोट के बदले नोट' पर सुप्रीम फैसला

CJI डीवाई चंद्रचूड़ अध्यक्षता में 7 जजों की पीठ ने सांसदों और विधायकों के कानूनी संरक्षण मामले पर अहम फैसला दिया

05 अक्टूबर, 2023 को  इस मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था

इस पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 1998 के फैसले से असहमति रखते हुए उसे खारिज कर दिया

पीवी नरसिम्हा राव बनाम राज्य वर्ष 1998 मामला

⇒सुप्रीम कोर्ट के अनुसार वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों/विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं दिया जा सकता है

न्यायालय का फैसला : -

•सांसद या विधायकों द्वारा किसी आर्थिक लाभ प्राप्त करने के बदले सदन में भाषण या वोट देने पर उनके विरुद्ध मुकदमा चलाया जा सकता है

•रिश्वत लेने का मुकदमा

•न्यायालय के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 105(2) या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी गई | रिश्वतखोरी एक आपराधिक कृत्य है

 रिश्वतखोरी वोट देने या विधायिका में भाषण देने के कार्य के लिए आवश्यक नहीं है| इसका राजव्यवस्था की नैतिकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है

•रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है

•इसमें लोकतंत्र को गंभीर ख़तरा है ऐसा संरक्षण ख़त्म होने चाहिए

पी.वी नरसिम्हा राव बनाम राज्य वर्ष 1998 मामला : -

•पी.वी. नरसिम्हा राव और झारखंड मुक्ति मोर्चा रिश्वतखोरी मामले में शिबू सोरेन और उनकी पार्टी के कुछ सांसदों पर केंद्र की पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ वोट करने के लिये रिश्वत लेने का आरोप लगा था |

इस पर वर्ष 1998 में 5 जजों की पीठ ने 3-2 के बहुमत से फैसला दिया

→संसद में जो भी कार्य सांसद करते हैं, यह उनका विशेषाधिकार है इस मामले में सांसदों और विधायकों को सदन में अपने भाषण और वोटों से जुड़े मामलों में रिश्वत के लिए आपराधिक मुकदमा से छूट प्रदान की गई|

संवैधानिक पृष्टभूमि : -

अनुच्छेद 105

1) संसद में बोलने की स्वतंत्रता

2) सदन में सदन के सदस्यों द्वारा किसी बात या किसी वोट के संबंध में किसी भी न्यायालय में किसी भी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा

अनुच्छेद 194 – राज्य के विधानमंडल के सदस्यों की शक्तियाँ, उनके विशेषाधिकार

विधानमंडल का कोई भी सदस्य विधानमंडल में अपने द्वारा कही गई किसी बात या वोट के संबंध में किसी भी न्यायालय में किसी भी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा|

02:03 am | Admin


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