Impoertant festivals of Chhattisgarh part 2

2511,2023

        छत्तीसगढ़ के पर्व एवं त्यौहार भाग-2

⇒दोस्तो छत्तीसगढ़ के प्रत्येक माह के पर्व एवं त्यौहार पर अब हम विस्तृत चर्चा करेंगे, अब हम बैसाख माह के प्रमुख त्यौहार को समझते है |

           बैसाख माह ( अप्रैल मई ) 

  1. अक्ती ( अक्षया तृतीया ): - यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तृतीय दिन मनाया जाता है |
  • "अक्ती" अक्षय तृतीया का लोकरूप है। अक्ती पर्व के मूल में कृषक जीवन का श्रम और श्रृंगार का भाव सन्निहित है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। इस दृष्टि से अक्ती का विशेष महत्व है। अक्ती के दिन से ही कृषि कार्य प्रारंभ किया जाता है। इस दृष्टि से इसे कृषकों का प्रथम त्यौहार कहें तो अत्युक्ति नहीं होगी।
  • इस दिन मिट्टी से बने पुतरा-पुतरी का विवाह सम्पन्न कराया जाता है ।
  • अक्ती कृषकों के लिए नए वर्ष का प्रारंभ है। इस दिन छाहुर बांधने की परंपरा है। इसके अंतर्गत गांव का प्रत्येक किसान अपनी-अपनी कोठी से पांच प्रकार के बीज को चुरकी या महुआ के दोनों में लेकर ठकुरदईया जाते हैं। तब बैगा के मार्गदर्शन में सारे बीजों को मिलाकर धरती पर बिखेर दिया जाता है। तत्पश्चात धरती को नांगर के लोहे (हल के फाल) से खोदा जाता है। फिर दोने में जल भरकर उस पर सिंचाई की जाती है। प्रतीकात्मक रूप में यह सारी प्रक्रिया खेत में बीज बोने, हल चलाने व सिंचाई करने की है। शेष बीजों को ग्रामीण अपने-अपने खेतों में ले जाकर बोते हैं और धरती माता से भरपूर अन्न तथा सुख-समृद्धि के प्रतिदान की कामना करते हैं।
  • इसी दिन से ही लोग करसी के शीतल जल का प्रयोग प्रारंभ करते हैं।
  • इसी दिन लक्ष्मीनारायण पूजा की जाती है |
  • इसी दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है |
  • यह जलदान पर्व है |
  • पितरों का तर्पण का पर्व है |
  •  यह वृक्ष मित्र का पर्व है|
  • अक्ती के दिन मामा की ओर से भांजों के घर में राऊत के द्वारा पानी भरवाया जाता है। देवालयों में जल डलवाया जाता है। चिड़ियों के लिए ओरवाती में परई बांधकर जल व फाता (धान की बालियों से बना कलात्मक झालर) बांधकर अन्न-पानी की व्यवस्था की जाती है। यह छत्तीसगढ़ के लोकजीवन की उदारता और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है।
  •  इसी दिन किसान और सेवक के मध्य कृषि कार्य के लिए करार होता है। पुराने सेवकों की विदाई होती है और नए सौंझिया (सेवक) रखे जाते हैं।
  • अक्ती उपनयन संस्कार, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश संस्कार तथा व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन खास होता है|
  • अक्ती के दिन विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन है |
  • अक्ती समरसता और सहकार का सुंदर उदाहरण है।
  • इस दिन किसान अपने खेतों में नारियल फोड़कर बीज बोना आरम्भ करते है जिसे मुठ लेना कहते है |
  1. अरवा तीज : -  यह पर्व विवाह का स्वरुप लिए हुए राज्य की अविवाहित लड़कियों द्वारा बैसाख माह में मनाया जाता है |
  • इस पर्व में आम आम की डालियों का मंडप बनाकर विवाह के विभिन्न रस्मों को निभाया जाता है|
  • कुंवारी कन्या अच्छे वर की प्राप्ति हेतु इस व्रत को रखती है ।

ज्येष्ठ माह ( मई जून ) 

  1. गंगा दशहरा : - इस पर्व का मुख्य रूप से आयोजन ज्येष्ठ माह की शुक्ल दशमीं को किया जाता है। इसका मुख्य रूप से आयोजन सरगुजा अंचल में होता है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा माता स्वर्ग से पृथ्वी लोक में अवतरित हुई थी, देवी गंगे को समर्पित यह पर्व है|
  • यह पर्व जल स्त्रोतों एवं नदियों की सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक महत्व को रेखांकित करती है।
  • इस दिन महिला-पुरूष, बाल-बच्चे आसपास के तालाब या पोखरों के पास जाकर स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं।
  • इस दिन पति और पत्नी के मध्य प्रतिस्पर्धात्मक खेलों का आयोजन किया जाता है।
  • गंगा दशहरा और कठपुतली विवाह : - कठपुतली का मंचन, प्राचीन मनोरंजक कार्यक्रमों में से एक है। सरगुजा अंचल में भी गंगा दशहरे के अवसर पर कठपुतली विवाह करने की प्रथा प्राचीन समय से है, जिसमें लकड़ी (काष्ठ) से गुडडे-गुड़िया बनाये जाते हैं और उनका विवाह संपन्न कराया जाता है।
  • सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा पर्व बिल्कुल ही अनूठे ढंग से मनाया जाता है। इस अवसर पर यहाँ पांच दिनों तक मेला लगता है।
  1. भीमाजात्रा : -  ज्येष्ठ माह में इस पर्व को मनाया जाता है ।
  • इस अवसर पर भीमादेव का विवाह धरती माता से किया जाता है ।
  • वर्षा की कामना हेतु इस पर्व को मनाया जाता है |
  • इसी त्यौहार के दौरान राज्य के कुछ भागों में मेंढक और मेंढकी का विवाह भी संपन्न करा दिया जाता है।
  • यह पर्व विशेषकर दोरला जनजाति के द्वारा मनाया जाता है|

Admin :-DeshRaj Agrawal 

 

03:09 am | Admin


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