What is anekantavada also known as?

1903,2024

अनेकान्तवाद

अर्थ : -  द्रव्यों  की संख्या को अनेक मानना व उसके अनन्त धर्म मानना ही अनेकान्तवाद है। अर्थात किसी वस्तु के अनेक पक्ष होते है |

द्रव्य क्या है ? ⇒ द्रव्य उसे कहते है जिसमें गुण व पर्याय दोनों  होते हैं। गुण स्वाभाविक धर्म है तथा पर्याय आगन्तुक हार्म है।

नोट - 

  • लॉक - जिसमे गुण रहते हैं, उसे द्रव्य कहते है।
  • देकार्त, स्पिनोजा - स्वतंत्र सत्ता ही द्रव्य है।
  • लाइबनीज - जिसमें कार्य को उत्पत्र करने की क्षमता है वह द्रव्य है।

प्रतिपादन क्यों किया : - क्योंकि -

(1)  वस्तु का स्वरुप व्यापक है , उसमे सत् एवं असत् इत्यादि  धर्म विद्यमान है | प्रत्येक वस्तु या  द्रव्य में गुण एवं पर्याय दोनों होते है | वस्तु गुण रूप में नित्य है जबकि पर्याय रूप में अनित्य है | जैसे मिठाई का मीठापन गुण है जो नित्य है, जबकि उसका रंग एवं आकार पर्याय है जो अनित्य है |

(2) प्रत्येक वस्तु सत् एवं असत् दोनों है। वस्तु अपने स्वरूप की दृष्टि से सत् है तथा अन्यं दृष्टि से असत् है। इस प्रकार दृष्टि से वस्तु के अनन्त धर्म है। पदार्थ या वस्तु भाव या अभाव रूप है। अनेकांतवाद में इनका समन्वय होता है।

(3) मानव अपूर्ण है और एक ही समय में किसी वस्तु के सभी पक्षों को नहीं जान सकता है। अतः उसका ज्ञान दृष्टिकोण सापेक्षा होता है और दृष्टिकोण सापेक्षता अनेकांतवाद की ओर संकेत करता है।

(4)  पदार्थों की अनेकता का प्रत्यक्ष होता है, अतः अनेकांतवाद को स्वीकार करना उचित है।

(5) जीवों  की संख्या अनेक है, क्योंकि प्रत्येक जीव के शरीर का आकार अलग- अलग होता है। कुछ जीव बंधनग्रस्त होते है और कुछ जीव मोक्ष प्राप्त कर चुके है।

 क्या अनेकान्तवाद, स्यादवाद  की ओर संकेत करता है? ⇒  अनेकान्तवाद  स्यादवाद की ओर संकेत करता है क्योंकि अनेकान्तवाद  द्रव्यों की अनन्त धर्मों  को मानता है और मानव को एक ही समय में सभी धर्मो का ज्ञान नहीं होता अतः अपूर्ण मानव का ज्ञान देशकाल एवं दृटिटकोण सापेक्ष होगा, यही स्यादवाद है।

अनेकांतवाद को प्रदर्शित करती यह कहानी 

अनेकान्तवाद को एक हाथी और पांच अंधों की कहानी से बहुत ही सरल तरीके से समझा जा सकता है। पांच अंधे एक हाथी को छूते हैं और उसके बाद अपने-अपने अनुभव को बताते हैं।

एक अंधा हाथी की पूंछ पकड़ता है तो उसे लगता है कि यह रस्सी जैसी कोई चीज है, इसी तरह दूसरा अंधा व्यक्ति हाथी की सूंड़ पकड़ता है उसे लगता है कि यह कोई सांप है। इसी तरह तीसरे ने हाथी का पांव पकड़ा और कहा कि यह खंभे जैसी कोई चीज है, किसी ने हाथी के कान पकड़े तो उसने कहा कि यह कोई सूप जैसी चीज है, सबकी अपनी अपनी व्याख्याएं।

जब सब एक साथ आए तो बड़ा बवाल मचा। सबने सच को महसूस किया था पर पूर्ण सत्य को नहीं, एक ही वस्तु में कई गुण होते हैं पर हर इंसान के अपने दृष्ठिकोण की वजह से उसे वस्तु के कुछ गुण गौण तो कुछ प्रमुखता से दिखाई देते हैं। यही अनेकान्तवाद का सार है।

 

02:56 am | Admin


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