What is One Nation One Election ,Challenges

0309,2023

देश में वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा जोरों पर है वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है देश लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना।।देश मे इसकी संभावना को तलाशने केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमीटी का गठन भी कर दिया है।।नीति आयोग ने भी इसकी सिफारिश की है।।

नीति आयोग के सदस्य विवेक देबराय ने अपनी रिपोर्ट मे कहा है कि देश मे कभी ऐसा कोई साल नही होता जब किसी राज्य मे चुनाव नही हो रहा है इससे आर्थिक अर्थात पैसे का नुकसान तो होता ही है साथ ही सुरक्षाबल और मैनपावर की बहुत नुकसान होता है देश मे एकसाथ चुनाव होने पर पैसे की बहुत बचत होगी।।लगातार चुनाव होने से पार्टियां हमेशा चुनावी मोड मे रहती है लोकलुभावन वायदे होते है ,सभी विकास प्रक्रियाएं रुक जाती हैं विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट मे वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया है

ऐसा नही है कि भारत मे यह पहली बार होगा इससे पहले 1951 से 1967 के बीच लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे. 1951-52 में आम चुनाव और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे. इसके बाद 1957, 1962  और 1967 में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे.।।हमारे देश मे लोकसभा और विधानसभा को समय से पहले भंग करने का प्रावधान है जैसे कि 1968,1969 मे हुआ और चौथी लोकसभा भी समय से भंग कर दी गई थी ,इस वजह से एक साथ चुनाव का चक्र टुट गया ,अब फिर से वह चर्चा शुरु हो गई है।।

जिन राज्यों के विधानसभा चुनाव लोकसभा से 6 महीने आगे पीछे हैं उन्हे एकसाथ कराया जा सकता है आलोचकों के अनुसार एक साथ चुनाव कराने का विचार राजनीति से प्रेरित है. इससे मतदाताओं का व्यवहार इस रूप में प्रभावित हो सकता है कि वे राज्य के चुनाव के लिए भी राष्ट्रीय मुद्दों पर मतदान करने लगेंगे. इससे संभावना है कि बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में जीत हासिल करें. इससे क्षेत्रीय पार्टियों के हाशिए पर चले जाने की आशंका है मसलन यदि.मतदाता लोकसभा मे.किसी और पार्टी को पसंद करते.है लेकिन विधानसभा चुनाव कि लिए किसी और पार्टी को तो संभावना है कि एकसाथ चुनाव की स्थिति मे बड़ी पार्टी को फायदा मिले.

इसके अलावा एकसाथ चुनाव होने से EVM और VVPAT को अत्यधिक मात्रा मे खरीदना होगा क्योंकि एकसाथ चुनाव होने से ज्यादा.EVM की जरुरत होगी इसके साथ-साथ कुछ व्यावहारिक चुनौतियां आएंगी जैसे त्रिशंकु की स्थिति मे या बीच मे बहुमत खत्म होने पर क्या होगा ,साथ जिन विधानसभा के चुनाव मे लोकसभा चुनाव से 2-3 साल का अंतराल है उनका क्या होगा।।

कुल मिलाकर वन नेशन वन इलेक्शन देश के हित मे है लेकिन चुनौतियां भी बहुत है जिनका समाधान ढुंढना पहले जरुरी है

Admin 

DeshRaj Agrawal 

 

11:40 am | Admin


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