What was Gandhi's philosophy of nonviolence?

0605,2024

गांधी दर्शन में अहिंसा  

अहिंसा ⇒ गांधी दर्शन में अहिंसा को अत्यधिक महत्व दिया गया है। गांधी जी ने अहिंसा को निषेधात्मक (क्या नहीं करना है) और भावात्मक (क्या करना  है) दोनो रूपों में परिभाषित किया है।

1. निषेधात्मक रूप में अहिंसा का अर्थ है हिंसा न करना अर्थात् किसी को क्षति न पहुंचाना। गांधी जी ने अहिंसा की बहुत व्यापक व्याख्या की है और इसे मनसा, वाचा, कर्मणा (सोच, विचार, कार्य) की अहिंसा के रूप में पारिभाषित किया है।

2. भाववात्मक रूप से अहिंसा का अर्थ है प्राणी मात्र के प्रति प्रेम और करूणा का भाव रखना। भाववात्मक रूप में गांधी जी ने अहिंसा के 4 तत्व बताए  - 1 प्रेम 2. धैय 3. वीरता 4. अन्याय का विरोध ।

⇒गांधीजी के अहिंसा संबंधी विचारों पर वेदान्त का स्पष्ट रूप से प्रभाव देखा जा सकता है। वेदांत के प्रभाव में गांधीजी प्रत्येक जीव में ईश्वर की छवि देखते हैं।

⇒गांधीजी ने अहिंसा संबंधी विचार देते हुए निरपेक्ष अहिंसा और अनिवार्य हिंसा का विचार भी दिया। निरपेक्ष अहिंसा का अर्थ है किसी भी परिस्थिति में हिंसा न करना। यह केवल ईश्वर का गुण है। मनुष्यों के लिए गांधी जी ने कुछ हिंसा अनिवार्य मानी है। कई बार अनजाने में हिंसा हो जाती है। कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों में हिंसा का सहारा लेना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर शरीर रक्षा के लिए, शरणागत की रक्षा के लिए, बीमारियों के कीटाणुओं जैसे प्लेग के कीटों को मारना या असाध्य कष्ट से पीड़ित व्यक्ति का जीवन समाप्त करना।

गांधीजी ने अहिंसा के तीन प्रकार बताए हैं 1. जाग्रत अहिंसा 2. औचित्यपूर्ण अहिंसा 3. कायरों की अहिंसा

1. जाग्रत अहिंसा में अहिंसा को एक जीवन दर्शन के रूप में अपनाया जाता है। यहां अहिंसा हानि लाभ से परे है। इसका प्रयोग सत्याग्रह में होता है।

2. औचित्यपूर्ण अहिंसा में अहिंसा का प्रयोग एक अस्त्र के रूप में किया जाता है। यह निष्क्रिय प्रतिरोध में अपनाया जाता है।

•  जाग्रत अहिंसा वीरों का भूषण है। जबकि औचित्यपूर्ण अहिंसा निर्बलों का हथियार है।

3. कायरों की अहिंसा का अर्थ है भयभीत होकर हिंसा की तुलना में अहिंसा को श्रेष्ठ मानना है।

गांधीजी ने अहिंसा को अपनाने के पक्ष में तर्क भी दिए हैं:-

  • ऐतिहासिक आधार पर गांधी जी यह दिखाते हैं कि मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ जीवन में निरंतर हिंसा का प्रयोग घटता जा रहा है।
  • गांधीजी के अनुसार अहिंसा शारीरिक शक्ति की बजाय आत्मिक शक्ति पर निर्भर करती है अतः कमजोर व्यक्ति जैसे दिव्यांग और वृद्ध व्यक्ति भी इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  • आत्मिक शक्ति पर आधारित होने के कारण अहिंसा निरंतर क्रियाशील रहती है।

01:16 am | Admin


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