What will happen in a solar storm?

1505,2024

सोलर तूफान

⇒ सामान्‍य दिनों में हमें, आसमान नीला या कुछ पीला सा दिखाई देता है।लेकिन अगर यह चमकीले, घूमते हुए पर्दों के रूप में कई रंग में दिखने लगे तो यह अरॉरा कहा जाता है। इसे हिन्‍दी में ध्रुवीय ज्‍योति भी कहते हैं।यह देखने में तो अच्‍छा लगता है, लेकिन हमारे लिए तकनीकी तौर पर चिंता का सबब होता है।आमतौर पर यह ऑरोरा उत्‍तर और दक्षिणी ध्रुवों पर दिखाई देता है।
10 मई 2024 की रात को लद्दाख में कुछ ऐसा ही देखने को मिला | इस ऑरोरा को इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ एयरोफिजिक्‍स, बेंगलुरु (IIA) के एक सेंटर ने रिकॉर्ड किया है, जो लद्दाख के हानले में स्थित है।

 सोलर तूफान : - 
मई 2024 में आया सोलर तूफान फरवरी 2022 के जैसा है, उस वक्‍त स्‍पसएक्‍स (इलोन मस्‍क की कंपनी) के 40 सैटेलाइट जलकर पृथ्‍वी पर गिर गए थे। लेकिन इस बार दुनिया के तमाम अंतरिक्ष एजेंसी और स्‍पसएक्‍स ने सैटेलाइट को बचाने के लिए इंतजाम किए हुए हैं।

⇒क्या होता हैं सोलर जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (सौर तूफान)?

  •  यह तूफान सूर्य से उत्‍पन्‍न होता है।
  •  सूर्य गैसों का एक गोला है।
  •  इसमें 92.1% हाइड्रोजन और 7.8% हीलियम जैसी गैसे है।
  •  सूर्य में न्‍यूक्लियर फ्यूजन का प्रोसेस चलता रहता हैं।
  •  इनमें सें मुख्यता 11 साल के अंतराल पर यह प्रोसेस चरम पर होता हैं, जिनको सोलर साइकल कहा जाता हैं।
  •  सोलर साइकल के ही समय अरबों टन गर्म गैसों के फुव्वारे और लपटे फैलते हैं।
  •  इसके बारे में नासा के सोलर पार्कर प्रोब ने कुछ नई खोज की थी। इससे पता चला था कि कैसे सोलर विंड चार्ज बैक करते हुए अंतरिक्ष में निकलते हैं।
  •  सूर्य से आए चार्ज्ड पार्टिकल धरती के वायुमंडल की ऊपरी सतह पर मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकराते हैं।
  • दरअसल, मैग्‍नेटिक फील्‍ड ऐसे सोलर और स्‍पेस से आनेवाले तूफान से बचाने का काम करता है और पृथ्‍वी पर रहने वाले लोगों को इसका एहसास भी नहीं होता है।
  •  जब सूर्य के चार्ज्‍ड पार्टिकल पृथ्‍वी के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकराते हैं, तो तूफान मच जाता है।
  •  इसको जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म भी कहते हैं।

⇒पृथ्‍वी का मैग्‍नेटिक फील्‍ड : -

  •  दरअसल, जब भी कोई चार्ज पार्टिकल घूमता है, तो यह मैग्‍नेटिज्‍म पैदा करती है।
  •  तो दो पोल बन जाता है – नॉर्थ पोल और साउथ पोल।
  •  हमारी पृथ्‍वी अर्थ साढ़े 23 डिग्री झुककर घूमती है।
  •  घूमने से मैग्‍नेटिक फील्‍ड पैदा होती है। यह नार्थ से साउथ तक चलती हैं।
  •  ऐसी स्थिति में सूरज के अंदर कोरोनल मास इजेक्‍शन जब अर्थ की ओर आने लगता है, तो मैग्‍नेटिक फील्‍ड इसे टकराकर अंदर आने नहीं देता है।
  •  लेकिन पृथ्‍वी पर मैगनेटिक फील्‍ड के ट्रेवल होने पर नॉर्थ और साउथ पोल में कुछ जगह खाली रह जाते हैं।
  • लेकिन यह रास्‍ता खोजकर पहुंचने का प्रयास करती है।
  •  अर्थ को प्रोटेक्‍शन दे रहा है, तो ऊपर और नीचे नहीं दे रहा है।
  •  सोलर फ्लेयर्स जब उत्‍तरी और दक्षिणी ध्रुव की ओर पहुंचती है, तो यहां चमक पैदा कर देती है।
  •  उत्‍तरी ध्रुव पर पैदा होने वाली चमक ऑरोरा बोरेलिस कहलाता है।
  •  जब दक्षिणी ध्रुव की ओर पैदा होती है, तो ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस कहते हैं।

⇒कितना खतरनाक हैं सोलर तूफान?

  • बहुत बार सोलर तूफान से धरती का बाहरी वायुमंडल गर्म हो जाता है।
  •  पृथ्‍वी का मैग्‍नेटिक फील्‍ड न हो, तो ये सोलर तूफान इसे बर्बाद कर सकते हैं।
  •  मंगल ग्रह का मैग्‍नेटिक फील्‍ड पृथ्‍वी की तुलना में 40 गुना कम है, इसलिए इस तूफान का ज्‍यादा असर मंगल पर होता है।
  •  पृथ्‍वी पर इसका सीधा असर सैटलाइट्स पर पड़ता है।

⇒पृथ्वी पर क्या होगा इस तूफान का प्रभाव?

  •  इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सौर तूफान की अधिकतर लपटें पृथ्वी तक नहीं पहुंचती हैं।
  •  परंतु करीब आने वाले सौर लपटें या तूफान, सोलर एनर्जेटिक पार्टिकल्स हाई स्पीड सोलर विंड्स और कोरोनल मास इजेक्शन्स जो पृथ्वी के नजदीक आते हैं, वह अंतरिक्ष के मौसम और ऊपरी वायुमंडल को इम्पेक्ट कर सकते हैं।
  •  ये तूफान जीपीएस, रेडियो और सैटेलाइट कम्युनिकेशन्स को भी प्रभावित कर सकते हैं।
  •  जियोमैग्नेटिक तूफान हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन्स और जीपीएस नेविगेशन सिस्टम्स में गड़बड़ी कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त विमान, पावर ग्रिड्स और स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम को भी नुकसान पहुंचा सकता हैं।
  •  कोरोनल मास इजेक्शन्स, लाखों मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले पदार्थ से लदे इजेक्टाइल्स के साथ मैग्नेटोस्पीयर में disturbance पहुंचा सकते हैं।
  • क्‍या हम सोलर विंड के इफेक्‍ट को देख सकते है?
  • हां। हम इन्‍हें देख सकते हैं।
  •  दरअसल, सोलर विंड पृथ्‍वी के आयनोस्फीयर को गर्म कर सकते हैं। (जहां पृथ्वी का वायुमंडल अंतरिक्ष से मिलता है)
  • इससे पृथ्वी पर यहां सुंदर औरोरा बनता है।
  • इसे दुनिया के कुछ ही जगहों से देखा जा सकता है। जैसे – अमेरिका के कुछ स्थानों और दुनिया के सुदूर उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में।
  •  रंगीन अरोरा तब बनता है जब सूर्य से बहने वाले कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में फंस जाते हैं।


⇒सोलर तूफान के 5 कैटेगरी

  • इस तूफान के प्रभाव को कई भागों में बांटा गया है – जी1 और जी5 कैटेगरी
  •  जी5 एक्‍सट्रीम हो जाता है। मई 2024 में यही स्थिति है।
  • इससे पहले बड़ा सोलर तूफान 2003 में हैलोवीन तूफान आया था। उस समय दक्षिण अफ्रीकी ग्रिड ठप पड़ गए थे।

12:24 pm | Admin


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