History of Nalanda University

0207,2024

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

स्थापना और समयावधि: -

  •  नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त सम्राट कुमारगुप्त द्वारा की गई थी।
  •  यह विश्वविद्यालय लगभग 800 वर्षों तक ज्ञान और शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा।

स्थान: -

  •  नालंदा विश्वविद्यालय बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित था, जो प्राचीन मगध क्षेत्र का हिस्सा था।

शैक्षणिक प्रतिष्ठान: -

  • नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म, तर्कशास्त्र, व्याकरण, चिकित्सा, धातुकर्म, खगोलशास्त्र और अन्य विज्ञानों की शिक्षा दी जाती थी।
  •  यहां बौद्ध धर्म के महायान और हीनयान दोनों शाखाओं के अध्ययन के साथ-साथ वैदिक और जैन धर्म की शिक्षा भी मिलती थी।

प्रसिद्ध शिक्षक और विद्यार्थी: -

  •  नालंदा विश्वविद्यालय में महान बौद्ध भिक्षु और विद्वान जैसे नागार्जुन, धर्मपाल, शीलभद्र, और वसुबंधु ने अध्यापन किया।
  • यहां पर चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग ने अध्ययन और अनुसंधान किया। ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृत्तांतों में नालंदा का विस्तार से वर्णन किया है।

संरचना और इंफ्रास्ट्रक्चर: -

  •  विश्वविद्यालय में कई विहार (अध्ययन और निवास स्थल), स्तूप, मंदिर, पुस्तकालय और बाग थे।
  •  पुस्तकालय, जिसे 'धर्मगंज' कहा जाता था, में लाखों पांडुलिपियां थीं। यह तीन मुख्य भवनों में विभाजित था: रत्नसागर, रत्नोदधि, और रत्नरंजक।

अंत और विनाश: -

12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया गया।

 इस आक्रमण में पुस्तकालयों को आग लगा दी गई, जिससे हजारों पांडुलिपियां जलकर खाक हो गईं। यह घटना नालंदा विश्वविद्यालय के पतन का प्रमुख कारण बनी।

महत्व और विरासत: -

  •  नालंदा विश्वविद्यालय भारतीय इतिहास में शिक्षा और ज्ञान के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता है।
  •  यह विश्वविद्यालय प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली और बौद्ध अध्ययन का प्रतीक है।
  •  21वीं शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित किया गया है, जिससे इसकी महान विरासत को पुनर्जीवित किया जा सके।

 

### निष्कर्ष

नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत की शैक्षणिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विश्वविद्यालय न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। इसका इतिहास भारतीय ज्ञान और शिक्षा की उत्कृष्टता का प्रतीक है, जो सदियों तक विद्वानों और विद्यार्थियों को आकर्षित करता रहा।

04:26 am | Admin


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