Can a Muslim woman ask for alimony?

1307,2024

तलाकशुदा मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता मांग सकती है: सुप्रीम कोर्ट

⇒सुप्रीम कोर्ट ने आज पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण देने को लेकर दायर याचिका के खिलाफ महत्वपूर्ण फैसला सुनते हुए कहा है की मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत अपने पति से भरण-पोषण पाने की हकदार है।

क्या है कोर्ट का फैसला ?

  • कोर्ट ने कहा, "एक भारतीय विवाहित महिला को इस तथ्य के प्रति सचेत होना चाहिए, जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं है.
  •  इस तरह के आदेश से सशक्तिकरण का अर्थ है कि उसकी संसाधनों तक पहुंच बनती है हमने अपने फैसले में 2019 अधिनियम के तहत 'अवैध तलाक' के पहलू को भी जोड़ा है 
  • हम इस प्रमुख निष्कर्ष पर हैं कि सीआरपीसी की धारा-125 सभी महिलाओं (लिव इन समेत अन्य) पर भी लागू होगी, ना कि केवल विवाहित महिला पर."

क्या था मामला ?

  • मामला तेलंगाना के मोहम्मद अब्दुल समद और उनकी तलाकशुदा पत्नी से जुड़ा है. तेलंगाना हाईकोर्ट ने समद को अपनी तलाकशुदा पत्नी को हर महीने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.
  •  याचिकाकर्ता की दलील थी कि एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार नहीं है
  •  और उसे मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू करना होगा
  •  सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'मुस्लिम महिला अधिनियम 1986, एक धर्मनिरपेक्ष कानून (CrPC की धारा 125) पर हावी नहीं हो सकता

मुस्लिम महिलाओं को लेकर क्या हैं नियम ?

  •  मुस्लिम स्कॉलर और दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर मो जिशान ने
  • कहा, 'मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता नहीं मिल पाता है
  • अगर मिलता भी है तो सिर्फ इद्दत तक
  •  उन्होंने बताया कि 'इद्दत' की अवधि 3 महीने तक रहती है
  •  इस्लामिक परंपरा के अनुसार, अगर किसी महिला को उसके पति ने तलाक दिया तो वो महिला इद्दत की अवधि तक शादी नहीं कर सकती है

क्या कहती है CrPC की धारा 125?

  •  सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कुमार आंजनेय शानू ने बताया कि CrPC की धारा 125 में न केवल पत्नी, बल्कि संतान और माता-पिता के भरण-पोषण को लेकर भी प्रावधान हैं
  •  इसके अनुसार पति, पिता या बेटे पर आश्रित पत्नी, मां-बाप और बच्चे गुजारा-भत्ते का दावा कर सकते हैं
  • हालांकि वे ऐसा तभी कर सकते हैं, जब उनके पास आजीविका का कोई साधन न हो
  • इसी धारा को आधार बना कर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया

12:31 pm | Admin


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