What is the Asmita project?

1907,2024

अस्मिता प्रोजेक्ट

⇒केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अगले 5 सालों में भारतीय भाषाओं में 22,000 किताबें तैयार करने के लिए 'अस्मिता' प्रोजेक्ट" शुरू किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, देश की 22 क्षेत्रीय भाषाओं में 22 हजार पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएंगी।

  • इसके साथ ही बहुभाषा शब्दकोष का एक विशाल भंडार बनाने की एक व्यापक पहल भी की गई है।
  • वहीं तत्काल अनुवाद के उपाय, भारतीय भाषा में तत्काल अनुवाद क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक तकनीकी ढांचे के निर्माण की सुविधा भी प्रदान की जा रही है।
  • इस कार्यशाला का आयोजन UGC और भारतीय भाषा समिति (BBS) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया

3 महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की शुरुआत

 ⇒केंद्रीय शिक्षा सचिव ने 3 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की है

  • इन सभी परियोजनाओं को आकार देने में टेक्नोलॉजी के साथ-साथ NETF और भारतीय भाषा समिति (BBS) बहुत बड़ी भूमिका अदा करेंगे।
  • इसमें देश भर से 150 से ज्यादा कुलपतियों ने भाग लिया।
  •  कुलपतियों को 12 मंथन सत्रों में बांटा गया था,
  • इनमें से प्रत्येक 12 क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकों की योजना बनाने और विकसित करने के लिए समर्पित था।
  • प्रारंभिक फोकस भाषाओं में पंजाबी, हिन्दी, संस्कृत, बंगाली, उर्दू, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, तमिल, तेलुगु और ओडिया शामिल थीं।

महत्वपूर्ण बिंदु

  •  इसका मुख्या उद्देश्य भारतीय भाषा में नई पाठ्य पुस्तकों के निर्माण को परिभाषित करना
  • पुस्तकों के लिए 22 भारतीय भाषाओं में मानक शब्दावली स्थापित करना और वर्तमान पाठ्यपुस्तकों के लिए संभावित सुधारों की पहचान करना
  •  घटकों में से एक के रूप में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) पर जोर देना
  • व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान को जोड़ना शामिल था।
  • इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष प्रो. चामू कृष्ण शास्त्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, 150 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रख्यात शिक्षाविद् और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

मातृभाषा पर दिया गया जोर

  •  सुकांत मजूमदार ने विभिन्न उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के लिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री तैयार करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
  •  शिक्षा प्रणाली को देश की विशाल भाषायी विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों को उनकी मातृभाषा में ज्ञान प्राप्त हो।
  • भारतीय भाषाएं राष्ट्र के प्राचीन इतिहास और पीढ़ियों से चली आ रही बुद्धिमत्ता का प्रमाण हैं।
  • उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ियों का पोषण किया जाना चाहिए और समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई विरासत में उनके विश्वास को मजबूत किया जाना चाहिए

12:05 pm | Admin


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