Adoption of National Flag

2207,2024

राष्ट्रीय ध्वज का अंगीकरण

भारत में, 'तिरंगा' शब्द भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को संदर्भित करता है। इसके वर्तमान स्वरूप को भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था |
तिरंगे को पिंगली वैंकेया ने डिजाइन किया था।
तिरंगे का इतिहास
  • 31 मई 1921 को कांग्रेस ने पहली बार तीन रंग के झंडे को मान्यता दी। इसमें हरा, सफेद और लाल रंग थे।
  • वर्ष 1931 में तिरंगे में लाल रंग की जगह केसरिया रंग जोड़ा गया। उस समय तिरंगे में अशोक चक्र की जगह चरखा था।
  • वर्ष 1931 में बने झंडे को ही एक बदलाव के साथ 22 जुलाई, 1947 में संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया।
  • इस ध्वज में चरखे की जगह मौर्य सम्राट अशोक के धर्म चक्र को गहरे नीले रंग में दिखाया गया है। 24 तीलियों वाले चक्र को 'विधि का चक्र' भी कहते हैं।
तिरंगे में रंगों का महत्व
  • तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं।
  • इसमें केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है।
  • केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है।
  • सफेद रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है।
  • हरा रंग देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाता है।
तिरंगे की बनावट और आकार
  • ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 निर्धारित है।
  • सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं।
  • ये तीलियाँ चहुंमुखी विकास, प्रगति, निरंतरता और कर्तव्य का संदेश देती हैं।
तिरंगा फहराने के नियम
  • भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं।
  • 24 घंटे तक तिरंगा फहरा सकते हैं। इसे अपने घर पर भी फहराया जा सकता है।
  • यह हाथ या मशीन से बनाया जा सकता है।
  • तिरंगा झुका, कटा और फटा नहीं होना चाहिए।
  • झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।
  • यह कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/रेशमी/खादी हो सकता है।
  • झंडा फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए।
  • किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए।
  • किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख सकते।
  • विशिष्ट वाहनों के अलावा झंडा किसी भी वाहन में नहीं लगा सकते।
  • झंडा फट जाने पर उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए।

12:43 pm | Admin


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