संसद में मीडिया का प्रवेश वर्जित
⇒पत्रकारों और विपक्षी नेताओं की आलोचनाओ के बीच संसद परिसर में अब मीडिया के लिए ग्लास हाउस नियम अब स्थायी रूप से लागू हो गया है
क्योंकि लोकसभा में हमले के बाद से ही सचिवालय प्रेस के लिए एक "विनियमित" स्थान पर विचार हो रहा था
इसके अतिरिक्त संसद में सभी के लिए एक स्वागत क्षेत्र बनाने की भी योजना चल रही है
ग्लास हाउस
- पुराने संसद भवन के गेट नंबर 12 के पास इसका निर्माण किया गया है
- यह मूल रूप से एक कंटेनर है
- इसमें दो टीवी स्क्रीन और चाय, कॉफी और पानी की सुविधाओं के साथ एक वातानुकूलित लगाया गया है
- 20 x 10 फीट के इन गिलास हाउस में अब पत्रकारों को प्रतीक्ष करनी होगी की राजनेता
- उनके पास चलकर आएंगे और उनसे बातचीत करेंगे
- नए संसद भवन को ज़्यादा लोगों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है,
- लेकिन इसमें मीडिया से बातचीत के लिए कम जगह है।
- प्रेस गैलरी अभी भी मौजूद हैं, लेकिन पत्रकारों की पहुँच की अनुमति काफी कम कर दी गई है।
- मीडिया लाउंज और ब्रीफ़िंग रूम मुख्य संसद परिसर के बाहर नॉर्थ यूटिलिटी बिल्डिंग में स्थित हैं,
- जबकि स्टोरीज़ फ़ाइल करने के लिए एक बेसमेंट वर्कस्टेशन उपलब्ध है, लेकिन इसमें पुरानी संसद के खुले स्थानों की जीवंतता का अभाव है।
- इस परिवर्तन में सबसे महत्वपूर्ण नुकसान अनौपचारिक, असंरचित स्थानों का अभाव है, जहां राजनेता और पत्रकार एक कप चाय या कॉफी पर खुलकर चर्चा कर सकते थे।
सेंट्रल हॉल
- सेंट्रल हॉल में पत्रकार और राजनेता स्वतंत्र रूप से बातचीत कर सकते थे,
- विचारों और सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते थे,
- जिससे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया समृद्ध हुई।
- यह एक ऐसा स्थान था जहाँ ऑफ-द-रिकॉर्ड बातचीत से सरकार और विपक्ष दोनों के अंदरूनी कामकाज के बारे में जानकारी मिलती थी।
- नए संसद भवन में ऐसे स्थान की कमी उन लोगों को बहुत खलती है जो इन अनौपचारिक बातचीत के महत्व को समझते हैं।
मीडिया जनता की आवाज है
- दिवंगत उपराष्ट्रपति कृष्णकांत ने एक बार संसद में कहा था, "जब आप लोगों तक सूचना के प्रवाह को रोकते हैं, तो आप अपने लिए सूचना के मार्ग को अवरुद्ध कर रहे होते हैं।" उनके शब्द आज भी प्रासंगिक हैं,
- क्योंकि मीडिया नई संसद में कम पहुंच और दृश्यता से जूझ रहा है।
- सिर्फ एक समिति से कहीं ज़्यादा की ज़रूरत है-
- नए संसद भवन में सेंट्रल हॉल जैसी जगह बहाल करने की तत्काल ज़रूरत है।
- ऐसी जगह मीडिया को जीवंत लोकतंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौक़ा देगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सूचना का प्रवाह निर्बाध बना रहे।
समिति का होगा गठन
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मीडिया की चिंताओं को दूर करने के लिए एक सर्वदलीय समिति गठित करने का वादा किया है।
क्या हुए है बदलाव ?
- पत्रकारों को मकर द्वार (संसद के मुख्य प्रवेश द्वार) पर एकत्र नहीं होंगे
- मीडियाकर्मियों के लिए एक विनियमित और निर्दिष्ट स्थान होगा
बदलाव के कारण ?
- पिछले साल दिसंबर में संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगने के बाद सरकार ने परिसर की सुरक्षा का फिर से मूल्यांकन किया था।
- उस समय दो लोग धूम्रपान करने वाले कनस्तर लेकर दर्शक दीर्घा से लोकसभा की बेंचों पर कूद पड़े थे।
- गृह मंत्रालय ने तब सुरक्षा कारणों से परिसर में सीआईएसएफ को तैनात किया था
नए संसद में छह द्वार
- नए संसद भवन में छह द्वार हैं
- गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दुला द्वार और हम्सा द्वार.
- इन सभी का नाम वास्तविक और पौराणिक प्राणियों के नाम पर रखा गया है.
- दरअसल, नए संसद भवन में सभी छह प्रवेश द्वारों पर शुभ जीवों की लाल बलुआ पत्थर
- की मूर्तियां लगी हैं.
- भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु
- शास्त्र के अध्ययन के आधार पर उन्हें स्थापित किया गया है.
12:54 pm | Admin