Who is M Vishwashwaraiya ,their work

1509,2023

भारत के पहले सिविल इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को हुआ था जब वे 12 वर्ष के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था ।

वो 12 साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया. शुरुआती पढ़ाई चिकबल्लापुर में करने के बाद वो बैंगलोर चले गए जहां से उन्होंने 1881 में बीए डिग्री हासिल की. इसके बाद पुणे गए जहां कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढ़ाई की.उन्होंने बॉम्बे में पीडब्ल्यूडी से साथ काम किया और उसके बाद भारतीय सिंचाई आयोग में गए.

 

वे.बहुत ही प्रतिभाशाली थे ,इंजीनियरिंग का प्रयोग कर .बहुत कार्य किए।  भारत के मैसूर को एक विकसित और समृद्धशाली क्षेत्र बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है. तब कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील व‌र्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फ़ैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ़ मैसूर समेत कई संस्थान उनकी कोशिशों का नतीजा हैं.इन्हें कर्नाटक का भगीरथ भी कहा जाता है

. वो 32 साल के थे, जब उन्होंने सिंधु नदी से सक्खर कस्बे को पानी भेजने का प्लान तैयार किया जो सभी इंजीनियरों को पसंद आय

उन्होंने स्टील के दरवाज़े बनाए जो बांध से पानी के बहाव को रोकने में मदद करते थे.उनके इस सिस्टम की तारीफ़ ब्रिटिश अफ़सरों ने भी की. विश्वेश्वरय्या ने मूसी और एसी नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान बनाया. इसके बाद उन्हें मैसूर का चीफ़ इंजीनियर नियुक्त किया गया.

वो उद्योग को देश की जान मानते थे, इसीलिए उन्होंने पहले से मौजूद उद्योगों जैसे सिल्क, चंदन, मेटल, स्टील आदि को जापान व इटली के विशेषज्ञों की मदद से और अधिक विकसित किया..1912-1918 तक वे मैसूर के दीवान भी रहे।   1955 मे इन्हे भारत रत्न दिया गया।।

उनके इंजीनियरिंग के प्रति समर्पण का अंदाजा उनके एक रोचक प्रसंग से लगाया जा सकता है।

भारत में एक रेलगाड़ी चली जा रही थी जिसमें ज़्यादातर अंग्रेज़ सवार थे. एक डिब्बे में एक भारतीय मुसाफ़िर गंभीर मुद्रा में बैठा था.

सांवले रंग और मंझले कद का वो मुसाफ़िर सादे कपड़ों में था और वहां बैठे अंग्रेज़ उसे मूर्ख और अनपढ़ समझकर मज़ाक उड़ा रहे थे. पर वो किसी पर ध्यान नहीं दे रहा था.

लेकिन अचानक उस व्यक्ति ने उठकर गाड़ी की ज़ंजीर खींच दी. तेज़ रफ्तार दौड़ती ट्रेन कुछ ही पलों में रुक गई. सभी यात्री चेन खींचने वाले को भला-बुरा कहने लगे. थोड़ी देर में गार्ड आ गया और सवाल किया कि ज़ंजीर किसने खींची.

उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ''मैंने''.' वजह पूछी तो उन्होंने बताया, ''मेरा अंदाज़ा है कि यहां से लगभग कुछ दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है.''

गार्ड ने पूछा, ''आपको कैसे पता चला?'' वो बोले, ''गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आया है और आवाज़ से मुझे ख़तरे का आभास हो रहा है.''

गार्ड उन्हें लेकर जब कुछ दूर पहुंचा तो देखकर दंग रह गया कि वास्तव में एक जगह से रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए हैं और सब नट-बोल्ट अलग बिखरे पड़े हैं.

विश्वेश्वरैया 100 से भी अधिक आयु तक जीवित रहे थे और जब तक जिंदा रहे सक्रिय रहे. उनके इतने एक्टिव रहने को लेकर एक बार एक व्‍यक्ति ने उनसे इसका राज पूछा, तो विश्वेश्वरैया ने जवाब दिया कि जब कभी भी बुढ़ापा मेरा दरवाजा खटखटाता है, मैं कह देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है. इससे बुढ़ापा निराश होकर लौट जाता है और मेरी उससे कभी मुलाकात ही नहीं होती

 

06:27 am | Admin


Comments


Recommend

Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

Weekly Current Affairs

Current affairs in hindi 2023

Current Affairs weekly  ◆गरबा नृत्य (गुजरात)को यूनेस्को ने अमुर्त सांस्कृतिक विरासत सूची मे शामिल किया। ◆10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार ...

0
Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

8th Continent of World

8th continent

दोस्तों आपने विश्व के 7 महाद्वीप एशिया,अफ्रीका, यूरोप,उत्तरी अमेरिका,दक्षिणी अमेरिका ,ऑस्ट्रेलिया  व अंटार्कटिका का नाम सुना ही होग...

0

Subscribe to our newsletter