प्रश्न 4 :- टोटम क्या है? (What is Totem?) (CGPSC Mains, 30शब्द,2अंक)
उत्तर: टोटम का अर्थ होता है - एक ही माँ से जन्मे भाई-बहन जिनमें खून का रिश्ता होता है तथा जो एक- दूसरे से विवाह नहीं कर सकते। वहीं टोटमवाद किसी समाज के उस विश्वास को कहते हैं, जिसमें मनुष्य का किसी जानवर, वृक्ष, पौधे या अन्य अदृश्य आत्माओं से
संबंध माना जाता है। जनजातीय समाज में टोटम वाले जानवर या वृक्ष को मारना या हानि पहुँचाना प्रतिबंधित होता है।
| प्रश्न | :- साहित्य के क्षेत्र में मुकुटधर पाण्डेय जी के योगदान की चर्चा कीजिए ?
उत्तर:
1. हिन्दी साहित्य में मुकुटधर पाण्डेय जी को छायावाद के जनक के रूप में जाना जाता है।
2. मुकुटधर पाण्डेय जी द्वारा लिखित कविता 'कुररी के प्रति को पहली छायावादी कविता के रूप में मान्यता है।
3. मुकुटधर पाण्डेय जी ने हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओ मे रचनाएं की है । 4. स्वदेश संग्रह पत्रिका में इनके द्वारा प्रकाशित रचनाएं प्रकृति और संवेदना को अनूठे रूप में प्रतिबिम्बित करती है।
5. कालिदास जी द्वारा लिखित 'मेघदूत' का छत्तीसगढ़ी भाषा में अनुवाद किया । 6. मुकुटधर पाण्डेय जी द्वारा रचित रचनाएं :
कविता संग्रह - पूजा के फूल
कहानी संग्रह - शैलबाल, मेरा हृदयदान, हिन्दी भाषा का स्वरूप आदि अन्य रचनाएं है।
7. साहित्य के क्षेत्र मे विशिष्ठ योगदान के लिए 1976 में इन्हें पदम श्री सम्मान से विभूषित किया गया ।
प्रश्न 1 :- 'रहस' की विस्तृत चर्चा कीजिए ?
उत्तर :-
1. कृष्ण लीला पर केंद्रित रहस छत्तीसगढ राज्य की सांस्कृतिक परम्परा का प्रतीक है। 2. छत्तीसगढ़ का रहस' उत्तरप्रदेश के रासलीला से प्रभावित है।
3. मुख्यतः इसका आयोजन होली के अवसर पर बिलासपुर-रायपुर क्षेत्र में किया जाता है 4. महाकवि रेवाराम के द्वारा श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध, ब्रज विलास के आधार पर लिखी गई पांडुलिपियां छत्तीसगढ़ में प्रचलित है, इसी के आधार पर रहस का कथानक तैयार किया गया है, जिसे रहस गुटका कहा जाता है ।
5. रहस संगीत, नृत्य एवम् अभिनय प्रधान कृष्णलीला है। 6. छत्तीसगढ़ में रहस के दो स्वरूप प्रचलित हैं
i. खड़े साज
ii. बैठे साज
7. बैठे साज में ब्रज भाषा की शुद्धता का ध्यान दिया जाता है, यह केवल रतनपुर में प्रचलित है।
8. खड़े साज में संपूर्ण गान को 'ब्रज मंडल' मान लिया जाता है, रहस का आयोजन करने वाला “यजमान” तथा रहस का मंच संचालन करने वाला "रहस पंडित" कहलाता है। 9. रहस को 'यज्ञ' तथा इसके रंगमंच को 'बेड़ा' कहा जाता है।
प्रश्न 6 :- सांविधानिक उपचार के अधिकार की विवेचना कीजिये
(CGPSC Mains 2018, शब्द सीमा 60 अंक 4)
उत्तरः- भारतीय संविधान के भाग 3 में 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं। इनमें सबसे
महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, अनुच्छेद 32 संविधान उपचारों का अधिकार है। ये अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। डॉ. अम्बेडकर ने इसे 'संविधान की आत्मा' कहा है। अगर देश में किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है, तो वह व्यक्ति अनुछेद 32 एवं 226 के तहत क्रमशः सर्वोच्च न्यायलय या उच्च न्यायलय जा सकता है।
* न्यायलय में निम्न 5 प्रकार के रिट होते हैं ।
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण - 'सशरीर उपस्थित होना'
2. परमादेश - 'हम आदेश देते हैं"
shi
3. प्रतिषेध - ' अधीनस्थ न्यायालय के प्रक्रियाधीन कार्यवाही पर रोक ' 4. उत्प्रेषण- अधीनस्थ न्यायालय के फैसले को ऊपर मंगवाना' 5. अधिकार पृच्छा - 'किस अधिकार से'
इन रिटों से किसी के मूल अधिकारों से रक्षा किया जा सकता है।
प्रश्न 5 :- मितान प्रथा से आप क्या समझते हैं?
(CGPSC Mains 2017, शब्द सीमा 175 अंक 15)
उत्तर: राज्य की संस्कृति, परंपरा तथा प्रथा उस राज्य की संस्कृति की पराकाष्ठा होती है । मितान वह, कोई भी व्यक्ति हो सकता है जिससे आपकी आत्मियता अत्याधिक होती है । जब मन, आत्मा और पारिवारिक रूप से किसी अन्य व्यक्ति को हृदय और अपने में एक संबंधी जैसी प्रेम, सम्मान दिया जाता है तो ऐसी प्रथा को छ.ग. में मितान प्रथा के रूप में संबांधित
किया जाता है।
मितान बढ़ने के लिए हम उम्र होना जरूरी नहीं है, जिनसे भी मितान बढ़ा जाता है, तो उसका नाम न लेकर उसे मितान कहा जाता है, चाहे वह उम्र में छोटा, हम उम्र या उम्र में बड़ा हो। छ.ग. में निम्नलिखित मितान प्रथा प्रचलित हैं-
1. जंवारा : नवरात्री में बोये स्थानीय अनाज के पौधे (जंवारा) को जवारा विसर्जन के पश्चात एक-दूसरे के कान में खींचकर जीवनभर एक सच्ची मित्रता निभाने की कस्में खाते हैं।
2. भोजली : भोजली विसर्जन के पश्चात भोजली के पौधे को एक-दूसरे के कान पर डालकर 'भोजली मितान' बदते हैं।
3. गोवर्धन : दिपावली के अगले दिन, जब पशुधन के पैरों से कृष्ण भगवान की गोबर की आकृति को रौंदवाया (खुदवाया जाता है, तत्पश्चात इसी गोबर को लोग एक-दूसरे के मस्तक पर लगाकर एक-दूसरे से गोवर्धन बढ़ते हैं, जो एक-दूसरे के मित्रता का प्रतीक होता है।
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