Basic of Economics,What is Economics and Type of Economics

0810,2023

अर्थशास्त्र ग्रीक शब्द ओइकोनोमिक्स से आया है जिसका अर्थ होता है गृहस्थ प्रबंधन अर्थात घर का प्रबंधन ।।।शाब्दिक अर्थ मे यह अर्थ(धन) व शास्त्र(क्रमिक या वैज्ञानिक अध्ययन)अत: अर्थशास्त्र का अर्थ है धन का वैज्ञानिक व क्रमबद्ध अध्ययन।।।।

भारत मे अर्थशास्त्र :::::---अर्थ शास्त्र का इतिहास बहुत पुराना है चारो वेदों मे से अथर्ववेद मे इसकी चर्चा है  ,विष्णुपुराण मे भी यह सूत्रो के रुप मे है हालांकि यह उपलब्ध नही है आचार्य वृहस्पति ने भी इसका वर्णन किया है लेकिन कौटिल्य के अर्थशास्त्र मे इसका क्रमबद्ध वर्णन है।।आचार्य कौटिल्य के अनुसार अर्थशास्त्र पृथ्वी को प्राप्त करने व उसकी रक्षा करने के उपायों पर विचार करता है।।

Basic of Economics,What is Economics and Type of Economics

चार पुरुषार्थ मे अर्थ मे इसका उल्लेख है जैन धर्म मे अपरिग्रह(धन.का अधिक संचय न करना)इस प्रकार अनेक ग्रंथो मे धन की प्रशंसा या निंदा की.गई. है।।

पाश्चात्य अर्थशास्त्र::::::---एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र. का.पिता कहा जाता है 1776 मे इन्होने An Enquiry to the Nature and causes of the wealth of nations जिसे Wealth of Nations कहा जाता है.।।इसमे इसे धन के विज्ञान के रुप मे परिभाषित किया है हालांकि इनकी संकुचित परिभाषा के लिए इनकी आलोचना की गई।।

  • इसके बाद अल्फ्रेड मार्शल  1890 में  अर्थशास्त्र के सिद्धान्त (Principles of Economics) में अर्थशास्त्र की कल्याण सम्बन्धी परिभाषा दी जो व्यापक थी।।
  • लेकिन यह परिभाषा दुर्लभ संसाधनों की समस्या को नजरअंदाज करती है, जिनके असीमित संभावित उपयोग होते हैं।मार्शल की परिभाषा ने अर्थशास्त्र को केवल मानव कल्याण के भौतिक पहलुओं का विश्लेषण करने तक ही सीमित रखा । कल्याण के गैर-भौतिक पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया गया। 

 

  •  लॉर्ड रॉबिन्स  1932 में  ‘‘An Essay on the Nature and Significance of Economic Science’’ में अर्थशास्त्र को दुर्लभता का सिद्धान्त माना है इसमे इन्होने      कहा है कि  मानवीय आवश्यकताएं असीमित है तथा उनको पूरा करने के साधन सीमित है।
  • आधुनिक.अर्थशास्त्री सैम्यूलसन  ने अर्थशास्त्र को विकास का शास्त्र (Science of Growth ) कहा है।आधुनिक परिभाषा, जिसका श्रेय अर्थशास्त्री, पॉल सैमुएलसन को दिया जाता है, अतीत की परिभाषाओं पर आधारित है और विषय को सामाजिक विज्ञान के रूप में परिभाषित करती है। 

अर्थशास्त्र का उद्देश्य::::----मनुष्य की आवश्यकताए असीमित व साधन सीमित है  अत: सीमित साधन व असीमित आवश्यकताओं से उत्पन्न समस्याओं का अध्ययन करना व समाधान खोजना ही अर्थशास्त्र का उद्देश्य है।।।

अर्थशास्त्र  के प्रकार :::::-- अर्थशास्त्र के दो.प्रकार होते हैं 

(1)Micro Economics :सूक्ष्म अर्थशास्त्र/वयष्टि 

जब हम अर्थव्यवस्था के छोटे हिस्से जैसे किसी व्यक्ति, परिवार ,फर्म के इकोनॉमी का.अध्ययन  करते हैं उसे.Microeconomy कहते.है.इसमे यह.जानने का प्रयास किया जाता.है व्यक्ति की अंत:क्रिया द्वारा वस्तुओं/सेवाओं की.मात्रा व  कीमत कैसे निर्धारित होती है।।जैसे मांग व आपूर्ति,,उत्पादक व्यवहार. सिद्धांत ।।अर्थात यह छोटे रुप का.अध्ययन करती.है।।।यह शब्द नार्वेकर अर्थशास्त्री रेगनर फ्रिश्क ने 1933 मे द्वारा गढ़ा गया ,1969 मे इन्हे नोबेल दिया गया था।।

(2)Micro Economics ::+ समष्टि/व्यापक अर्थशास्त्र::::---इसके अंतर्गत हमबड़े क्षेत्रों का अध्ययन करते है.जैसे राज्य देश।।इसमे राष्ट्रीय आय ,सकल घरेलू उत्पाद ,गरीबी,बेरोजगारी इत्यादि।।यह शब्द जॉन मेनार्ड कीन्स ने 1936 में The Theory of Employment,Interest and Money ' कृति से आया।।इन्हे father of Macroeconomics कहा जाता है।।

PUBLISHED BY DESHRAJ AGRAWAL 

08:06 am | Admin


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