ठिनठिन पखना Thin Thin Patthar Surguja
दरिमा हवाई अड्डा से लगे ग्राम छिंदकालो में एक ऐसा पत्थर है जिसे दूसरे पत्थर से टकराने पर 'ठिन-ठिन' की आवाज आती है।
अन्य पत्थरों को आपस में टकराने पर ऐसी आवाज नहीं निकलती है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने इस पत्थर का नाम रख दिया है 'ठिनठिनी पत्थर।'thinthin patthar लोग इस पत्थर को दूर-दराज से देखने आते हैं। स्थानीय भाषा मे पत्थर को पखना कहते है।।
सरगुजा में इस पत्थर के चर्चे तो काफी है, लेकिन राज्य व देश में भी यह अपनी पहचान बना चुका है।
इस पत्थर का रहस्य जानने कई वैज्ञानिक भी यहां पहुंच चुके हैं, लेकिन अब तक यह अबूझ ही साबित हुआ है। शोधकर्ता भी इस पत्थर का तिलिस्म जानने में लगे हैं।
छिंदकालो गांव में स्थित यह पत्थर करीब 5 फीट ऊंचा व 3 फीट की चौड़ाई लिए हुए है। यहां के ग्रामीणों ने इस पत्थर का एक छोटा टुकड़ा इसके ऊपर रख दिया है।
लोग आते है और कौतुहलवश दोनों को आपस में टकराते हैं। पत्थर के टकराने से 'ठिन-ठिन' की मधुर ध्वनी निकलती है। गांव में पहुंचने वाली सड़क के किनारे ही यह पत्थर रखा हुआ है।
ग्रामीणों ने बकायदा यहां पर 'ठिनठिनी पत्थर' भी लिख रखा है। पत्थर के कारण इस गांव का यह मोहल्ला ठिनठिनीपारा के नाम से प्रचलित हो गया है।
बताया जा रहा है कि ठिन-ठिन की आवाज आने के कारण ही गांव के बुजुर्गों ने इसका नाम ठिनठिनी रख दिया। तब से लेकर आज तक यह इसी नाम से प्रसिद्ध है।
सरगुजा के अलावा यह छत्तीसगढ़ व देशभर में यह प्रचलित हो चला है। पूर्व में इस पत्थर का रहस्य जानने कई देश के कई वैज्ञानिक यहां पहुंच चुके हैं, लेकिन वे इसका तिलिस्म नहीं समझ पाए।
अब तक यह पत्थर अबूझ पहेली बना हुआ है। वहीं शोधकताओं द्वारा पत्थर की जैविक संरचना जानने इसका सैंपल जयपुर के विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया है। यह पत्थर सरगुजा सहित राज्य का ऐतिहासिक धरोहर बन चुका है।
ठिनठिनी पत्थर की लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी है कि इसे देखने राज्य व देश के कोने-कोने से भी लोग आते हैं। यहां पहुंचने के बाद ठिनठिनी के दो पत्थरों को आपस में टकराकर देखते हैं
इससे जो ध्वनी निकलती है इसे सुनकर वे काफी आनंदित भी होते हैं। छिंदकालो स्थित इस पत्थर जैसा राज्य सहित देशभर में दूसरा पत्थर नहीं मिला है। इस कारण इसकी लोकप्रियता और बढ़ती जा रही है।
ठिनठिनी पत्थर सफेद रवादार के साथ चमकदार भी है। इसका असली नाम फोनोटिक स्टोन है। दूर से देखने में यह सामान्य पत्थर की भांति ही नजर आता है।
लेकिन जैसे-जैसे आप इसके नजदीक जाएंगे, पत्थर आपको अपनी ओर आकर्षित करने लगता है। ठिनठिनी के दो पत्थरों को आपस में टकराने से संगीत जैसे स्वर निकलते हैं, जो कानों को काफी मधुर लगते हैं।
ठिनठिनी के दो पत्थरों में एक विशेष स्थान पर टकराव होने से ही ऐसी आवाज निकलती है।
ऐतिहासिक महत्व के इस पत्थर को संरक्षित कर रखने की जरूरत है। देखने में आ रहा है कि बार-बार प्रहार करने से पत्थर में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। शासन-प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से पत्थर वहीं असुरक्षित पड़ा हुआ है।
ग्रामीण दूसरे पत्थरों से इस पर तेज प्रहार कर नुकसान पहुंचा रहे हैं। यदि समय रहते इस पत्थर को संरक्षित नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं है जब यह पत्थर यहां नहीं दिखेगा।
यह अद्भूत पत्थर करीब दो सौ क्विंटल भारी है, और आकार से बेलनाकार है।स्थानीय निवासी इसे भगवान की देन मानते हैं।
Published By DeshRaj Agrawal
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