नंबी नारायण ,देश के हीरो जिसे देश ने भुला दिया था

2508,2023

एस. नंबी नारायणन का जन्म 12 दिसंबर 1941 को एक      तमिल फैमिली में हुआ। उन्होंने नागरकोल के डीवीडी स्कूल से अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी की। इसके बाद तिरुवनंतपुरम के इंजीनियरिंग कॉलेज से एमटेक की डिग्री ली।   1969 में नारायणन ने नासा की एक प्रतिष्ठित फेलोशिप जीती, जिसके बाद वे पढ़ाई करने के लिए अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी  चले गए।

 

भारत लौटने के बाद नंबी नारायणन ने इसरो में काम करना शुरू किया। भारत में सबसे पहले  लिक्विड फ्यूल राकेट टेक्नोलॉजी इन्होंने ही लाया था। इससे पहले राकेट टेक्नोलॉजी सॉलिड प्रोपेल्लेंट्स पर निर्भर थी, लेकिन 1970 में नंबी ने  देश में ईंधन रॉकेट प्रौद्योगिकी की शुरुआत हुई। जिसका       उपयोग इसरो ने अपने कई रॉकेटों के लिए किया था, जिनमें ध्र (PSLV) और  (GSLV) शामिल हैं। 

 

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में रॉकेट में उपयोग होने वाली क्रायोजेनिक तकनीक (Cryogenic Technology) की खोज में देश के महान वैज्ञानिक नंबी नारायणन जी का   अहम योगदान है। यह तकनीक Liquid-propellant     rocket में उपयोग की जाती है।

 

 

1994 में नंबी नारायण जी पर इस क्रायोजेनिक तकनीक को देश के शत्रु पाकिस्तान को देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद Nambi Narayanan को लगभग 50 दिन जेल में बिताने पड़े। इसके बाद साल 1995 को यह केस  CBI को यह केस सौंप दिया गया। सीबीआई द्वारा नंबी नारायणन को देश से गद्दारी करने के आरोप के चलते शारीरिक और मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित किया गया।

 

बाद मे CBI ने  अपनी जांच में पाया की नंबी नारायणन पर   लगे सभी आरोप पूरी तरह से निराधार, गलत एवं झूठे हैं। इसके बाद साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यह ऐतिहासिक फैसला आया की नंबी नारायण पर लगे सभी पूरी तरह से झूठे हैं और वह देशद्रोही नहीं बल्कि देश को उन्नत तकनीक देने वाले सच्चे देशभक्त एवं महान वैज्ञानिक हैं और उन्हें जल्द से जल्द बाइज्ज़त बरी किया जाय। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के आदेश में यह भी कहा की केरल राज्य सरकार हर्जाने के तौर पर Nambi Narayanan को 1.3 करोड़ रूपये प्रदान करे

 

जब नंबी नारायण जी ने फ्यूल रॉकेट इंजन की खोज की तो   इस खोज के बारे में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी को बड़ी हैरानी हुई। जिसके बाद नासा ने नंबी जी से संपर्क कर उन्हें अपने    यहाँ अनुसंधान करने और काम करने का एक बहुत बड़ा     ऑफर दिया था। नंबी नारायण जी नासा में काम करने के लिए तैयार भी हो गए थे परन्तु कुछ कारणों से नंबी अमेरिका नहीं जा पाए और यह ऑफर छोड़ना पड़ा।

 

नंबी नारायण जी को उनके कार्य क्षेत्र में उत्कृष्ट काम के लिए   वर्ष 2019 में भारत सरकार के द्वारा देश के बड़े नागरिक सम्मानों में से एक पद्म भूषण (Padma Bhushan) प्रदान किया गया।

 

नंबी नारायणन पर फिल्म Rocketry के बाद देश को इनके बारे मे जानने का मौका मिला,जिसे देश ने भुला दिया था,विकास इंजन को बनाने में भी इनका अहम योगदान है चंद्रयान-3 में इस इंजन का प्रयोग किया गया था,नंबी नारायणन जैसे देश के हीरो को भी इस मौके पर याद किया जाना चाहिए।।।

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09:30 am | Admin


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