क्या है सल्लेखना विधि

1902,2024

क्या है सल्लेखना जिससे जैन संत 108 आचार्य विद्यासागर ने देहत्याग किया

प्रधानमंत्री न मोदी ने जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया. आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन को राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए समाज में आध्यात्मिक गुरु के योगदान के गहरे प्रभाव की सराहना की।

प्रसिद्ध जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने सल्लेखना पद्वति से अपने देह का त्याग किया जैन धर्म मे सल्लेखना पद्धति से कई लोगो ने अपने प्राण दिये है ।।चंद्रगुप्त मौर्य ने भी सल्लेखना से अपने प्राण त्यागे थे।

जैन धर्म मे सल्लेखना को साधुमरण भी कहते हैं  सल्लेखना (समाधि या सथारां) मृत्यु को निकट जानकर अपनाये जाने वाली एक जैन प्रथा है।

इसमें जब व्यक्ति को लगता है कि वह मौत के करीब है तो वह खुद खाना-पीना त्याग देता है। दिगम्बर जैन शास्त्र अनुसार समाधि या सल्लेखना कहा जाता है, इसे ही श्वेतांबर साधना पध्दती में संथारा कहा जाता है।

सल्लेखना दो शब्दों से मिलकर बना है सत्+लेखना। यह श्रावक और मुनि दोनो के लिए बतायी गयी है। इसे जीवन की अंतिम साधना भी माना जाता है, जिसके आधार पर व्यक्ति मृत्यु को पास देखकर सबकुछ त्याग देता है

जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज जी को सत् सत् नमन

10:16 am | Admin


Comments


Recommend

Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

Important festival of chhattisgarh part 7

CULTURE

 छत्तीसगढ़ के पर्व एवं त्यौहार भाग-7 ⇒दोस्तो छत्तीसगढ़ के प्रत्येक माह के पर्व एवं त्यौहार पर अब हम विस्तृत चर्चा करेंगे, अब हम क...

1
Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

central excise day

tax system

केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस • प्रत्येक वर्ष 24 फरवरी को 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' मनाया जाता है। • वर्ष 1944 में केंद्रीय उत्पाद...

0

Subscribe to our newsletter