India exports first supersonic cruise missile 'BrahMos'

2204,2024

भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का पहला निर्यात

ऐसा पहली बार है जब भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल को एक्‍सपोर्ट किया। भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की पहली खेप 19 अप्रैल 2024 को सौंप दी।ब्रह्मोस पाने वाला फिलीपींस पहला बाहरी देश है।

  • फिलीपींस
  • राजधानी : मनीला
  • प्रेसिडेंट : रोड्रिगो दुतेर्ते

भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की बिक्री के लिए 375 मिलियन डॉलर (3130 करोड़ रुपए) की डील की थी। भारत ने फिलीपींस को कितनी मिसाइलें दीं, अभी इसका पता नहीं चला है। इंडियन एयरफोर्स ने C-17 ग्लोब मास्टर विमान के जरिए इन मिसाइलों को फिलीपींस मरीन कॉर्प्स को सौंपा। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की आधुनिक सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली है। इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के बारे में

  •  ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है।
  •  इन मिसाइलों की स्पीड 2.8 से 3 मैक और मारक क्षमता 350 किमी तक है। एक मैक ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकेंड होती है। फिलीपींस को सौंपी गई मिसाइल की स्पीड ध्वनि की गति से 2.8 गुना ज्यादा है।
  •  यह 4321 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से मार करने में सक्षम है।
  •  इस मिसाइल को जल, थल और वायु से छोड़ा जा सकता है. इस क्षमता को ट्रायड कहा जाता है।
  •  ट्रायड की विश्वसनीय क्षमता कुछ ही देशों के पास मौजूद थी।
  • इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है।
  •  ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है।
  •  रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO Mashinostroeyenia) और भारत के DRDO ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है।
  •  इसके लिए दोनों देशों ने 12 फरवरी 1998 को एग्रीमेंट साइन किया था। तब से मिसाइल को डेवलप किया जा रहा है।
  •  ब्रह्मोस का पूरा नाम – The Brahmaputra of India and the Moskva of Russia.
  •  इस मिसाइल का नाम भारत और रूस ने अपने-अपने नदियों के नाम पर रखा है।
  •  ब्रह्मोस के हर एक सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर होता है। इसके जरिए सबमरीन, शिप, एयक्राफ्ट से दो ब्रह्मोस मिसाइलें 10 सेकेंड के अंदर दुश्मन पर दागी जा सकती है। इसके अलावा भारत फिलीपींस को मिसाइल ऑपरेट करने की भी ट्रेनिंग देगा।

फिलीपींस ने क्‍यों खरीदा ब्रह्मोस?

  •  फिलीपींस को उस समय मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी मिली है, जब उसके और चीन के बीच साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ा हुआ है।
  •  फिलीपींस ब्रह्मोस के 3 मिसाइल सिस्टम को तटीय इलाकों (साउथ चाइना सी) में तैनात करेगा, ताकि चीन के खतरे से निपटा जा सके।
  •  दरअसल, फिलीपींस का समुद्री विवाद चीन से है।
  •  चीन, दक्षिण चीन सागर (साउथ चाइना सी) पर अपना अधिकार जताता है।
  •  उसने कई आर्टिफीशियल आइलैंड्स बना लिए है।
  •  इन आइलैंड्स के जरिए वह ‘एक्‍सक्‍लूसिव इकोनॉमिक जोन’ का दायरा काफी ज्‍यादा बताकर दूसरे देशों के ‘एक्‍सक्‍लूसिव इकोनॉमिक जोन’ पर अधिकार जताता है।
  • इसकी वजह से ‘साउथ चाइना सी’ के पास मौजूद देशों का तनाव चीन से है।
  • साल 2016 में एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने चीन के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया था. इस ट्राइब्यूनल ने कहा था कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि चीन का इस इलाक़े पर ऐतिहासिक रूप से कोई अधिकार रहा है. लेकिन, चीन ने इस फ़ैसले को मानने से इनकार कर दिया था।
  •  ऐसे में खासतौर से कई आसियान देशों को अपनी सुरक्षा के लिए विश्‍वसनीय हथियारों की जरूरत है।
  •  ‘द हिन्‍दू’ न्‍यूजपेपर के अनुसार फिलीपींस, ब्रह्मोस मिसाइल को अपने तटीय इलाकों में तैनात कर सकता है।
  • इस मिसाइल से फिलीपींस की सेना की ताकत भी काफी बढ़ जाएगी।
  • भारत के लिए अहम है साउथ चाइना सी
  •  भारत का 95 प्रतिशत व्‍यापार समुद्र के जरिए होता है।
  •  इसका लगभग 55 प्रतिशत साउथ चाइना सी से होकर गुजरता है।

भारत का क्या फायदा?

विदेशी मुद्रा

  • फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेचकर भारत को 374.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 3130 करोड़ रुपए) मिलेंगे।
  •  इस तरह की खरीदारी से भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान होगा।
  •  इस डील से विश्वभर में भारत के सैन्य कौशल का भी प्रदर्शन होगा।

चीन के खिलाफ गोलबंदी

  •  भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल देकर चीन के खिलाफ बने माहौल का साथ दिया है।
  • ये सौदा भारत और फिलीपींस के संबंधों में और मजबूती लाएगा और दोनों देशों के बीच रक्षा कारोबार को बढ़ावा देगा।

आर्म्‍स एक्‍सपोर्टर देशों में स्‍थान बेहतर करना

  •  इसके साथ ही ‘आत्‍म निर्भर भारत अभियान’ के तहत हम सैन्‍य हथियारों के आयात में कमी लाने की कोशिश कर रहे हैं।
  •  वित्‍त वर्ष 2022-23 में पहली बार भारत का डिफेंस एक्‍सपोर्ट 21 हजार करोड़ पार कर गया है। भारत इस इसे 85 देशेां को मिलिटरी हार्डवेयर एक्‍सपोर्ट करता है।
  •  भारत, डोर्नियर-228 विमान, 155 MM एडवांस्‍ड टोड आर्टिलरी गन, आकाश मिसाइल सिस्‍टम, रडार, मिमुलेटर, माइन प्रोटेक्‍टेड व्‍हीकल, पिनाका रॉकेट, थर्मल इमेजर्स एक्‍सपोर्ट कर चुका है।

दूसरे देश भी खरीद सकते है यह मिसाइल

 भारत और रूस, ब्रह्मोस मिसाइल को अन्‍य देशों को भी बेचने की कोशिश कर रहा है।

इंडोनेशिया और वियतनाम ने भी इस मिसाइल की खरीद के लिए दिलचस्‍पी दिखाई है।

02:31 am | Admin


Comments


Recommend

Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

Official Languages of India

राजभाषा,8th Schedule of indian Constitution

भारत की कोई एक राष्ट्रभाषा नही है बल्कि विविधता को देखते हुए संविधान मे हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया और इसके व्यापक प्रचार प्रस...

0
Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

Citizenship Amendment Act, 2019

indian polity

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) 2019 ⇒ इसके माध्यम से नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्...

0

Subscribe to our newsletter