Aditya-L1 mission?

0205,2024

आदित्‍य L1

आदित्य एल-1 वास्तव में क्या है ⇒ आदित्य एल-1 एक अंतरिक्ष यान है तथा यह एक अंतरिक्ष वेधशाला है जिसमें अंतरिक्ष दूरबीन और अन्य उपकरण हैं।यह सूर्य पर नजर रखेगा और उसका अध्ययन करेगा।

  •  कब लॉन्‍च हुआ : 2 सितंबर 2023 की सुबह 11.50 बजे।
  •  कहां से लॉन्‍च हुआ : आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से
  •  किस रॉकेट से लॉन्‍च : PSLV-C57 का XL वर्जन
  •  वह  लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा।इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है।

क्या यह हमारे द्वारा छोड़े गए अन्य उपग्रहों की तरह एक उपग्रह है, जो पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है?

  •  नहीं, यह पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करेगा।
  • यह पृथ्वी और सूर्य के बीच सीधी रेखा पर पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एक बिंदु पर रहेगा।
  •  इस प्‍वाइंट का नाम लैग्रेंज-1 नामक है।
  •  आदित्य एल-1 को समझने के लिए सबसे पहले लैग्रेंज पॉइंट के बारे में जानना होगा।

लैग्रेंज-1, या एल-1 क्या है?

  •  लैग्रेंज बिंदु किन्हीं दो खगोलीय पिंडों (जैसे पृथ्वी-सूर्य या पृथ्वी-चंद्रमा) के बीच के स्थान हैं।
  •  लैग्रेंज बिंदु पर रखी अंतरिक्ष यान जैसी कोई वस्तु वहां स्थिर रहेगी, क्योंकि यह दोनों पिंडों से समान रूप से खींचने के अधीन है।
  • किन्हीं दो पिंडों के बीच ऐसे कई लैग्रेंज बिंदु हो सकते हैं।
  • उदाहरण के लिए, पृथ्वी-सूर्य युग्म के लिए, ऐसे पाँच प्‍वाइंट हैं- L1, L2, L3, L4, L5

तो एक लैग्रेंज प्‍वाइंट दो खगोलिए बॉडी के बीच स्थित है?

  •  जरूरी नहीं कि ‘बीच’ हो।
  • उदाहरण के लिए, पृथ्वी-सूर्य के लिए, केवल L-1 ही पृथ्वी और सूर्य के बीच है।
  • एल-2 (जहां नासा का जेम्स वेब टेलीस्कोप लगाया गया है) पृथ्वी के दूसरी ओर स्थित है।
  • एल-3 सूर्य के दूसरी ओर स्थित है। L-4 और L-5 पृथ्वी और सूर्य को जोड़ने वाली रेखा के दोनों ओर स्थित हैं। यदि आप पृथ्वी, सूर्य और L-4 (या L-5) के बीच एक रेखा खींचते हैं, तो आपको एक त्रिकोण मिलेगा।

तो क्‍या अंतरिक्ष यान लैग्रेंज प्‍वाइंट पर स्‍थाई तौर पर रह सकता है?

  •  ऐसा नहीं है।
  •  लैग्रेंज बिंदु पर एक वस्तु, जैसे एल-1 पर आदित्य, भी आकाश में आकाशीय पिंडों की गतिविधियों के कारण होने वाले गुरुत्वाकर्षण गड़बड़ी के अधीन है।
  • उदाहरण के लिए, जब चंद्रमा पृथ्वी और आदित्य के बीच आएगा, तो वह अंतरिक्ष यान पर अपना खिंचाव डालेगा।
  •  सभी खगोलीय पिंड, जैसे कि अन्य ग्रह और क्षुद्रग्रह, अंतरिक्ष यान की स्थिरता को प्रभावित करते हैं
  •  इसके लिए इसरो इसे पृथ्‍वी से कंट्रोल करेगा। इसमें सीमि क्षमता का ईंधन भी है, ताकि किसी दूसरे पिंड के गुरुत्‍वाकर्ष के बाद भी वह वहीं रुका रहे।

क्या यह एल-1 पर एक प्‍वाइंट तक स्थिर नहीं रह सकता?

  •  अंतरिक्ष यान एल-1 में किसी स्थान पर ‘स्थिर’ नहीं रहता। यह एक अदृश्य केंद्र की परिक्रमा करता रहता है।
  •  यह 1 किमी प्रति सेकंड से थोड़ी अधिक गति से एक अदृश्य केंद्र की परिक्रमा करता रहेगा।
  •  आदित्य एल-1 मिशन में सबसे बड़ी चुनौती अंतरिक्ष यान को एक चुने हुए बिंदु पर इतनी सावधानी से ‘रखना’ है, जहां से यह एक मीरा-मैदान की तरह वहां परिक्रमा करना शुरू कर देगा।

हम सूर्य का अध्ययन क्यों कर रहे हैं?

  • आदित्य एल-1 के उद्देश्य दो प्रकार के हैं- अल्पकालिक और दीर्घकालिक।
  •  अल्पकालिक उद्देश्य सूर्य पर किसी भी विस्फोट (जिसे ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ कहा जाता है) या आवेशित कणों को फेंकने पर पैनी नजर रखना है। यह सोलर तूफान तो हमारे उपग्रहों और बिजली ग्रिडों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  •  आदित्य एल-1 सूर्य से आने वाले रेडिएशन की किसी भी ‘तूफान’ को लेकर एक प्रकार की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में काम करेगा।
  •  आज, भारत के पास स्वयं लगभग ₹50,000 करोड़ की अंतरिक्ष संपत्ति है, जिसे सोलर तूफान से बचाने की आवश्यकता है।
  •  दीर्घकालिक उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना, इसके बारे में मानव जाति के ज्ञान को बढ़ाना है।

लागत कितनी है

  •  जहां तक लागत की बात है, इसे लिखने के समय, इसरो ने सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया है, लेकिन कहा जाता है कि यह 300 से 400 करोड़ है।

क्या सूर्य की गर्मी से ये यंत्र पिघल नहीं जायेंगे?

  •  ऐसा नहीं होगा, क्योंकि एल-1 पृथ्वी से सूर्य की दिशा में ‘सिर्फ’ 1.5 मिलियन किमी दूर है।
  •  यह दूरी पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी का 1 प्रतिशत है।
  •  बेशक, L-1 प्‍वाइंट पर तापमान बहुत अधिक होगा, लेकिन कुछ हजारों या लाखों के बजाय केवल कुछ सौ डिग्री सेल्सियस।
  •  हालाँकि, ‘तापमान’ और ‘गर्मी’ में अंतर है।

12:13 pm | Admin


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