IPC की जगह BNS लागू हुआ
⇒ IPC का मसौदा थॉमस बबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत 1834 में स्थापित भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिशों पर तैयार किया गया था। यह 1862 में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में लागू हुआ।
- 30 जून 2024 तक दर्ज सभी मामलों का ट्रायल पुराने कानून के अनुसार ही होगा।
- 1 जुलाई 2024 से नए मामले BNS के तहत दर्ज किए जाएंगे।
⇒भारतीय न्याय संहिता (BNS)
- BNS में IPC के 22 प्रावधानों को निरस्त और 175 में बदलाव किया गया है।
- इसमें 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
- BNS में कुल 356 धाराएं हैं।
⇒भारतीय न्याय संहिता (BNS) में क्या नया जुड़ा?
- शादी का झांसा देकर यौन शोषण करना अब अपराध
- मॉब लिंचिंग के लिए अलग से धारा
- ऑर्गनाइज्ड क्राइम के लिए अलग धारा, इसमें डकैती, चोरी, कब्जा, तस्करी, साइबर क्राइम शामिल
- आतंकवाद को क्रिमिनल कानूनों में शामिल किया गया
- पब्लिक सर्वेट को ऑफिशियल ड्यूटी से रोकने के लिए सुसाइड का प्रयास करना अब अपराध होगा
⇒भारतीय न्याय संहिता (BNS) से क्या हटा?
- जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाना अब गैर-कानूनी नहीं
- अडल्ट्री को भी क्रिमिनल कानूनों से हटा दिया गया है, यह अपराध नहीं है।
- बच्चों से जुड़े अधिकतर अपराधों में लैंगिक असमानता को हटाया गया। लड़के-लड़की दोनों को बराबर अधिकार मिले।
⇒भारतीय न्याय संहिता (BNS) में नया अपडेट
- धारा 69 के अनुसार किसी भी महिला से शादी का झूठा वादा करके या उसे नौकरी और प्रमोशन का लालच देकर यौन संबंध बनाने पर (रेप न हो फिर भी) दस साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
- इसमें पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
- IPC में इससे निपटने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं था। इसके चलते कोर्ट IPC की धारा 493 और धारा 90 की मदद से मिसकन्सेप्शन ऑफ फैक्ट के तहत फैसला सुनाता था। इसमें दस साल तक जेल का प्रावधान था।
⇒नाबालिग से गैंगरेप में फांसी की सजा
- नाबालिग के साथ गैंगरेप या गैंगरेप की कोशिश करने पर BNS में धारा 70 (2) के तहत अपराध में शामिल हर व्यक्ति को फांसी तक की सजा हो सकती है।
- धारा 70 (1) के तहत किसी वयस्क महिला के साथ गैंगरेप के अपराध में भी उम्रकैद और कम से कम 20 साल की कैद की सजा हो सकती है।
⇒एक्स्ट्रा मैरेटल अफेयर अब अपराध नहीं
- BNS में एडट्री को हटा दिया गया है। यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अब अपराध नहीं है।
- 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 497 को असंवैधानिक बताया था। इस धारा में एडट्री के नियमों को बताया गया था।
- हालांकि BNS की धारा 84 के तहत किसी शादीशुदा महिला को धमकाकर, फुसलाकर उससे अवैध संबंध बनाने के इरादे से ले जाना अब अपराध माना जाएगा। इसमें 2 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
⇒नाबालिग पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध रेप होगा
- BNS की धारा 63 में रेप को परिभाषित किया गया है।
- इसके एक्सेप्शन 2 में कहा गया है कि कोई व्यक्ति पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाता है, तो उसे रेप नहीं माना जाएगा। बशर्ते पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक हो।
- यानी नाबालिग पत्नी से जबरन संबंध बनाना रेप के दायरे में आएगा। पहले IPC की धारा 375 में यह उम्र 15 साल थी।
⇒सामुदायिक सजाः-
- पहली बार छोटे-मोटे अपराधों (नशे में हंगामा, 5 हजार से कम की चोरी) के लिए 24 घंटे की सजा या एक हजार रु. जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है। अमेरिका-UK में ऐसा कानून है।
- अभी ऐसे अपराधों पर जेल भेजा जाता है।
⇒क्या है प्रस्तावित राजद्रोह कानून?
- गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पेश करते हुए कहा था कि कि राजद्रोह का कानून खत्म कर दिया गया है। हालांकि, हकीकत है कि इसे नए नाम से शामिल किया गया है।
- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 की धारा 150 राजद्रोह संबंधित अपराध से जुड़ा है।
- हालाँकि, इसमें राजद्रोह शब्द का उपयोग नहीं किया गया है, बल्कि अपराध को "भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला" बताया गया है।
- अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य, चाहे बोला हो या लिखा हो, या संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो, तो 7 साल से उम्रकैद तक सजा संभव होगी। देश की एकता एवं संप्रभुता को खतरा पहुंचाना अपराध होगा। आतंकवाद शब्द भी परिभाषित किया गया है।
- जबकि पुराने IPC की धारा 124ए में राजद्रोह में 3 साल से उम्रकैद तक होती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस धारा को निरस्त कर चुका है।
⇒भगोड़ों को अब मिलेगी सजा
- सुनवाई में गायब रहने वाले अपराधियों को लेकर भी सजा का - प्रावधान किया गया है।
- सेशन कोर्ट के जज पूरी प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित - करेंगे उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सजा भी दी जाएगी।
- दुनिया में वो कहीं भी छिपे, उसे सजा सुनाई जाएगी। अगर उसे - सजा से बचना है तो वह न्याय की शरण में आए।
⇒सजा माफी पर अब शर्ते
- मौत की सजा सिर्फ आजीवन कारावास और आजीवन कारावास - को 7 साल तक सजा में बदला जा सकेगा।
- यह सुनिश्चित करेगा कि सियासी प्रभाव वाले लोग कानून से बच न सकें।
- सरकार पीड़ित को सुने बिना 7 साल कैद या अधिक सजा वाले केस वापस नहीं ले सकेगी।
12:21 pm | Admin