आज ही के दिन सौ वर्ष पूर्व 1923 मे छत्तीसगढ़ रंगमंच के महान व्यक्तित्व हबीब तनवीर का जन्म हुआ था,जितना काम उन्होने किया है उस रुप मे उनको याद नही किया जाता ।उनका जन्म रायपुर (छत्तीसगढ़) में हुआ, जिन्होंने यहां की मिट्टी की खुशबू न सिर्फ देश, बल्कि दुनियाभर में पहुंचाई।स्कूली शिक्षा रायपुर से ली और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से MA किया।इसके बाद बचपन से कला के प्रति आकर्षित रहने वाले हबीब साहब ने खुद को पूरी तरह से रंगमंच यानी थिएटर के लिए समर्पित कर दिया।अपने नाटकों के जरिए उन्होंने सीधी-सादी कहानियों को ऐसे अंदाज में कहा कि थिएटर की शक्ल ही बदल दी।11 वर्ष की उम्र मे उन्होने सेक्सफीयर के नाटक का अभिनय किया था
हबीब तनवीर ने हिंदी छोड़ छत्तीसगढ़ बोली में नाटक करना शुरू किया। छत्तीसगढ़ी समाज के सबसे निचले तबके , पेशे से खेत मजदूरों को अपने नाटकों का अभिनेता बनाया
1954 में हबीब साहब अभिनय की बारीकियां सीखने लंदन गए, जहां उन्होंने निर्देशन भी सीखा। भारत लौटने के बाद उन्होंने हिन्दुस्तान थिएटर के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया।हबीब जितने अच्छे अभिनेता, निर्देशक व नाट्य लेखक थे, उतने ही बेहतरीन गीतकार, गायक, संगीतकार और कवि भी थे।
सिविल सेवा में जाने के पिता के सपने की जगह अभिनय ने ले ली थी और हबीब अपनी एमए की पढ़ाई अधूरी छोड़ कर, अपनी तस्वीरों के साथ मुंबई जा पहुंचे. वहां पहले रेडियो में, फिर फ़िल्म इंडिया में और फिर फ़िल्मों के लिए उन्होंने काम करना शुरू कर दिया. इसी दौरान इप्टा और प्रगतिशील लेखक संघ से भी हबीब तनवीर जुड़ चुके थे.
मुंबई में ही हबीब तनवीर ने अपना लिखा पहला नुक्कड़ नाटक 'शांतिदूत कामगार' का प्रदर्शन किया. उन्होंने इस दौर में कुछ पत्र-पत्रिकाओं का भी संपादन किया।।।1959 मे इन्होंने नया थियेटर की स्थापना की।इनकी प्रमुख कृतियां
आगरा बाज़ार (1954)
शतरंज के मोहरे (1954)
लाला शोहरत राय (1954)
मिट्टी की गाड़ी (1958)
गाँव का नाम ससुराल मोर नाम दामाद (1973)
चरणदास चोर (1975)
पोंगा पण्डित
द ब्रोकन ब्रिज (1995)
ज़हरीली हवा (2002)
राज रक्त (2006)
नाटक
फ़ुट पाथ (1953)
राही (1953)
चरणदास चोर (1975)[3]
गाँधी (1982)
ये वो मंज़िल तो नहीं (1987)
हीरो हीरालाल (1988)
प्रहार (1991)
द बर्निंग सीजन (1993)
द राइज़िंग: मंगल पांडे (2005)
ब्लैक & व्हाइट (2008)
हबीब तनवीर को
संगीत नाटक एकेडमी अवार्ड (1969)
पद्मश्री अवार्ड (1983)
संगीत नाटक एकादमी फेलोशीप (1996),
पद्म भूषण(2002) जैसे सम्मान मिले।
1971 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने इंदिरा गांधी के 'गरीबी हटाओ' नारे का नाटकों के जरिए चुनाव प्रचार किया। इसका असर भी हुआ ,पार्टी को बहुमत मिला 1972 में हबीब तनवीर राज्यसभा के लिए चुन लिए गए।
वे 1972 से 1978 तक संसद के उच्च सदन यानि राज्यसभा में भी रहे। उनका नाटक चरणदास चोर एडिनवर्ग इंटरनेशनल ड्रामा फेस्टीवल (1982) में पुरस्कृत होने वाला ये पहला भारतीय नाटक था।।
8 जून 2009 का इनका निधन भोपाल मे हुआ।।
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DeshRaj Agrawal
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0दोस्तों इस पोस्ट में हम चर्चा करेंगे छग राज्य सहकारी बैंक व जिला सहकारी बैंक के लिए हाल ही मे व्यापमं द्वारा जारी की गई 398 पदों के लिए ली...
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