Difference between judicial review and judicial activism

2507,2024

न्यायिक समीक्षा और न्यायिक सक्रियता में अंतर

न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) और न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) दोनों न्यायपालिका की शक्तियों और भूमिका से संबंधित अवधारणाएँ हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है।

न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)

1. परिभाषा: - न्यायिक समीक्षा वह प्रक्रिया है जिसके तहत न्यायालय विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों की संवैधानिकता की जांच करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि वे संविधान के अनुरूप हैं या नहीं।

2. उद्देश्य: -

  •     संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखना।
  •     मौलिक अधिकारों की रक्षा करना।
  •     विधायिका और कार्यपालिका की शक्ति की सीमाओं की निगरानी करना।

3. प्रक्रिया: -

  •    न्यायालय किसी कानून या सरकारी आदेश की समीक्षा करते हैं और यह निर्णय लेते हैं कि वह संविधान के अनुसार है या नहीं।
  •    यदि कोई कानून असंवैधानिक पाया जाता है, तो उसे अमान्य घोषित कर दिया जाता है।

4. उदाहरण: -

  •    केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): संविधान के मौलिक ढांचे की सुरक्षा का सिद्धांत स्थापित हुआ।
  •    गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967): संसद के मौलिक अधिकारों में संशोधन की शक्ति को सीमित किया गया।

न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism)

1. परिभाषा : -  न्यायिक सक्रियता का अर्थ है जब न्यायालय सक्रिय रूप से सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक मुद्दों पर निर्णय लेते हैं और विधायिका या कार्यपालिका के क्षेत्रों में हस्तक्षेप करते हैं।

2. उद्देश्य:

  •    सामाजिक न्याय की स्थापना।
  •    कमजोर वर्गों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा।
  •    विधायिका और कार्यपालिका की विफलताओं को दूर करना।

3. प्रक्रिया: -

  •    न्यायालय व्यापक व्याख्या और सक्रियता के माध्यम से सामाजिक समस्याओं को संबोधित करते हैं।
  •     जनहित याचिकाएँ (PIL) और व्यापक आदेशों के माध्यम से सामाजिक सुधारों को लागू करते हैं।

4. उदाहरण: -

  •     विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997): कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दिशानिर्देश स्थापित किए गए।
  •     मनमोहन सिंह बनाम भारत सरकार (1992): न्यायालय ने वायु प्रदूषण के खिलाफ सख्त निर्देश दिए।

 अंतर

1. परिधि:

  •    न्यायिक समीक्षा: यह विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों की संवैधानिकता की जांच तक सीमित है।
  •     न्यायिक सक्रियता: यह न्यायालय की सक्रिय भूमिका को दर्शाती है जिसमें न्यायालय सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी हस्तक्षेप करते हैं।

2. प्रक्रिया: -

  •     न्यायिक समीक्षा: न्यायालय केवल कानूनी और संवैधानिक मानदंडों के आधार पर निर्णय लेते हैं।
  •     न्यायिक सक्रियता: न्यायालय कानूनी व्याख्या के साथ-साथ सामाजिक और नैतिक मानदंडों को भी ध्यान में रखते हुए निर्णय लेते हैं।

3. प्रभाव: -

  •     न्यायिक समीक्षा: संविधान की सुरक्षा और शक्ति के संतुलन को बनाए रखने पर केंद्रित है।
  •     न्यायिक सक्रियता: सामाजिक न्याय और सुधारों को लागू करने पर केंद्रित है।

 निष्कर्ष : -  न्यायिक समीक्षा और न्यायिक सक्रियता दोनों ही न्यायपालिका की महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं, लेकिन उनका उद्देश्य और कार्यक्षेत्र भिन्न होते हैं। न्यायिक समीक्षा संवैधानिकता की जांच पर केंद्रित है, जबकि न्यायिक सक्रियता सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए न्यायालय की सक्रिय भूमिका को दर्शाती है।

01:19 am | Admin


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