Pola Festival ,Why we celebrate it,What is Pola

1309,2023

छत्तीसगढ़ एक कृषिप्रधान राज्य है यहां के अधिकांश लोग खेती किसानी करते हैं इसलिए मवेशियों का अर्थव्यवस्था मे अहम योगदान है भारत में मवेशियों की पूजा की जाती है पोला त्यौहार उन्ही मे से एक है जिसमे गायों,बैल की पूजा की जाती है पोला त्यौहार मुख्यत: छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश ,महाराष्ट्र मे मनाया जाता है।

pola festivals

पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा::::-
भगवान  जब कृष्ण  के रूप में धरती में आये थे, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप मे मनाया जाता है. तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे. कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था. एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने  मार दिया , और सबको अचंभित कर दिया था. वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा. यह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है, बच्चों का इस दिन विशेष प्यार मिलता है।

पोला का त्यौहार भादों माह की अमावस्या को आता है  जिसे पिठोरी अमावस्या भी कहते है,  इस वर्ष 2023 मे 14 सितंबर को यह मनाया जायेगा. महाराष्ट्र(Pola in Maharashtra ) में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है, विशेष तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है. वहां यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है. वहां बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दुसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता

Types of Pola ::- पोला दो तरह से मनाया जाता है, बड़ा पोला एवं छोटा पोला. बड़ा पोला में बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है, जबकि छोटा पोला में बच्चे खिलौने के बैल या घोड़े को मोहल्ले पड़ोस में घर-घर ले जाते है और फिर कुछ पैसे या गिफ्ट उन्हें दिए जाते है.

मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में  आदिवासी जाति एवं जनजाति रहती है. यहाँ के गाँव में पोला के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है.  लकड़ी एवं लोहे के बैल की पूजा की जाती है, बैल के अलावा यहाँ लकड़ी, पीतल के घोड़े की भी पूजा की जाती है.इस दिन  चक्की (हाथ से चलाने वाली चक्की) की भी पूजा की जाती है. पहले के ज़माने में घोड़े बैल, जीवनी को चलाने के लिए मुख्य होते थे, एवं हांथ चक्की के द्वारा ही घर पर गेहूं पीसा जाता था.तरह तरह के पकवान इनको चढ़ाये जाते है, सेव, गुझिया, तसमई, ठेठरी,मीठे खुरमे आदि बनांये जाते है.घोड़े के उपर थैली रखकर उसमें ये पकवान रखे जाते है.

 पोला के दिन  गेड़ी का जुलुस निकाला जाता है. गेड़ी, बांस से बनाया जाता है, जिसमें एक लम्बा बांस में नीचे 1-2 फीट उपर आड़ा करके छोटा बांस लगाया जाता है. फिर इस पर बैलेंस करके, खड़े होकर चला जाता है. गेड़ी कई साइज़ की बनती है, जिसमें बच्चे, बड़े सभी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. ये एक तरह का खेल है, जो मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का पारंपरिक खेल है, 

इसी पर्व को ही छत्तीसगढ़ में पोरा पर्व भी कहते हैं। दरअसल भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला यह पोला त्योहार, खरीफ फसल के द्वितीय चरण का कार्य (निंदाई गुड़ाई) पूरा हो जाने के कारण  मनाते हैं। फसलों के बढ़ने की खुशी में किसानों द्वारा बैलों की पूजन कर कृतज्ञता दर्शाने के लिए भी यह पर्व मनाया जाता

 पोला पर्व की पूर्व रात्रि को गर्भ पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती है। अर्थात धान के पौधों में दुध भरता है। इसी कारण पोला के दिन किसी को भी खेतों में जाने की अनुमति नहीं होती। दूसरी ओर पर्व के दिन कई तरह के खेलों का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें खो—खो, कबड्डी जैसे अन्य प्रचलित खेल खेले जाते हैं। इन खेलों को खेलने से लोगों में पर्व को लेकर अलग ही उत्साह नजर आता है

 

 जैसे ही शाम ढलती है, गाँव की युवा लड़कियाँ अपनी सहेलियों के साथ गाँव के परिसर के बाहर इकट्ठा हो जाती हैं। वे खुले मैदानों या सार्वजनिक चौराहों जैसे निर्दिष्ट स्थानों पर इकट्ठा होते हैं जहाँ नंदी बैल या सहदा देव की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं।  इस अनुष्ठान के दौरान, प्रत्येक घर के व्यक्ति एक  स्थान पर मिट्टी की मूर्ति को उछालकर और तोड़कर भाग लेते हैं। यह कृत्य नदी बैल के प्रति उनके अटूट विश्वास का प्रतीक है।।

महाराष्ट्र में पोला पर्व मनाने का तरीका (Pola Festival in Maharashtra)
पोला के पहले दिन किसान अपनी बैलों के गले, एवं मुहं से रस्सी निकाल देते है.इसके बाद उन्हें हल्दी, बेसन का लेप लगाते है, तेल से उनकी मालिश की जाती है.इसके बाद उन्हें गर्म पानी से अच्छे से नहलाया जाता है. अगर पास में नदी, तालाब होता है तो उन्हें वहां ले जाकर नहलाया जाता है.इसके बाद उन्हें बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाई जाती है.इसके बाद बैल को अच्छे सजाया जाता है, उनकी सींग को कलर किया जाता है.उन्हें रंगबिरंगे कपड़े पहनाये जाते है, तरह तरह के जेवर, फूलों की माला उनको पहनाते है. शाल उढ़ाते है.इन सब के साथ साथ घर परिवार के सभी लोग नाच, गाना करते रहते है.


गाँव के सभी लोग एक जगह इक्कठे होते है, और अपने अपने पशुओं को सजाकर लाते है. इस दिन सबको अपनी बैलों को दिखने का मौका मिलता है.फिर इन सबकी पूजा करके, पुरे गाँव में ढोल नगाड़े के साथ इनका जुलुस निकाला जाता है.इस दिन घर में विशेष तरह के पकवान बनते है, इस दिन पूरम पोली, गुझिया, वेजीटेबल करी एवं पांच तरह की सब्जी मिलाकर मिक्स सब्जी बनाई जाती है.कई किसान इस दिन से अपनी अगली खेती की शुरुवात करते है. यहाँ तरह तरह की प्रतियोगितायें आयोजित होती है, जैसे वॉलीबॉल, रेसलिंग, कबड्डी, खो-खो आदि.।।


पोला का त्यौहार हर इंसान को जानवरों का सम्मान करना सिखाता है.सभी लोग मेहनती किसानो  को हैप्पी पोला कहकर बधाई देते  है.

 

07:51 am | Admin


Comments


Recommend

Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

G20 2023 Summit G20 Is Now G21 ,Delhi Summit is now most Aspirational Summit of G20 ,Delhi Declaration adopted

G20,G21, African Union ,Delhi Declaration

G20 का 18वां सम्मेलन दिल्ली मे 10 सितंबर को समाप्त हुआ ,यह सम्मेलन कई मायनों मे सफल रहा ,सम्मेलन मे जहां रुस व चीन की मुद्दे पर असहमति दिख रही...

0
Jd civils,Chhattisgarh, current affairs ,cgpsc preparation ,Current affairs in Hindi ,Online exam for cgpsc

Cgpsc Prelims Question Paper trend of Last 5 years

Cgpsc question paper analysis

दोस्तों छग लोक सेवा आयोग जल्द ही  राज्य सेवा परीक्षा 2023 का   विज्ञापन जारी करने  वाला है चूंकि आचार संहिता लगी हुई है जो चुनाव के ...

0

Subscribe to our newsletter